2025 के सनडांस (Sundance) फिल्म फेस्टिवल में दो भारतीय फिल्म निर्माताओं को खास जगह मिली है। इंडियन-अमेरिकन गीता गांधिर की फिल्म ‘द परफेक्ट नेबर’ को US डॉक्यूमेंट्री कॉम्पिटिशन में चुना गया है।रोहन कनवाडे की मराठी फिल्म ‘सबर बोंडा’ (कैक्टस पियर्स) वर्ल्ड सिनेमा ड्रामाटिक कॉम्पिटिशन में शामिल है। ये फेस्टिवल अपनी दमदार और नई तरह की कहानियों के लिए जाना जाता है। इसका आयोजन 23 जनवरी से 2 फरवरी, 2025 तक यूटा के पार्क सिटी और साल्ट लेक सिटी में होगा।
गीता गांधिर की फिल्म ‘द परफेक्ट नेबर’ फ्लोरिडा में एक छोटे से पड़ोस के झगड़े की कहानी दिखाती है, जो धीरे-धीरे खतरनाक हिंसा में बदल जाता है। ये फिल्म राज्य के विवादास्पद 'स्टैंड योर ग्राउंड' कानूनों के नतीजों को उजागर करती है। सनडांस ने US डॉक्यूमेंट्री कॉम्पिटिशन को नॉन-फिक्शन अमेरिकन फिल्मों का ऐसा मंच बताया है, जहां आज के समय को प्रभावित करने वाले विचारों, लोगों और घटनाओं पर आधारित नॉन-फिक्शन अमेरिकन फिल्मों का पहला प्रदर्शन दिखाया जाता है।
एमी अवॉर्ड विजेता गीता ने अपना करियर स्पाइक ली और सैम पोलार्ड के साथ काम करके शुरू किया था। 11 साल तक स्क्रिप्टेड फिल्मों में काम करने के बाद उन्होंने डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण में कदम रखा। आज वो इस क्षेत्र की एक मशहूर हस्ती बन गई हैं।
उन्हें मिले सम्मानों में 'ब्लैक एंड मिसिंग' के लिए इंडिपेंडेंट स्पिरिट अवॉर्ड, PBS के 'द एशियन अमेरिकन्स' के लिए पीबॉडी अवॉर्ड शामिल हैं। उनके उल्लेखनीय कामों में 'हाउ वी गेट फ्री' (जो ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्टेड थी) और 'अपाट' (जिसने 2022 में एमी अवॉर्ड जीता) शामिल हैं। 'द परफेक्ट नेबर' उनके शानदार करियर में एक और उपलब्धि है, क्योंकि वो लगातार सामाजिक रूप से प्रासंगिक कहानियों पर काम कर रही हैं।
रोहन कनवाडे की फिल्म ‘सबर बोंडा’ (कैक्टस पियर्स) इस साल सनडांस में चुनी गई एकमात्र भारतीय फिल्म है। इसके साथ ही फेस्टिवल में प्रीमियर करने वाली पहली मराठी फिल्म भी है। यह फिल्म आनंद की मार्मिक कहानी कहती है, जो शहर में रहता है। अपने पिता के निधन के बाद अपने ग्रामीण पैतृक घर लौटता है। वहां उसकी एक स्थानीय किसान से अनोखी दोस्ती हो जाती है। कहानी ग्रामीण, निचली जाति के समुदायों में समलैंगिक जीवन को दिखाती है। इसके साथ ही दुःख, पहचान और अपनेपन जैसे विषयों पर गहराई से विचार करती है।
रोहन का फिल्म निर्माण का सफर अनोखा और प्रेरणादायक है। मुंबई के रहने वाले इस फिल्म निर्माता ने औपचारिक प्रशिक्षण के बिना ही 2010 में अपनी फुल-टाइम इंटीरियर डिजाइन की नौकरी छोड़कर कहानी कहने के अपने जुनून को पूरा करने का फैसला किया। उनके पिछले कामों में लेस्बियन शॉर्ट फिल्म 'यू उषाचा' (यू फॉर उषा) को दुनिया भर में सराहा गया है। यह 35 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई। इसे कई अवॉर्ड मिले हैं।
'सबर बोंडा' का वर्ल्ड सिनेमा ड्रामाटिक कॉम्पिटिशन में चयन क्षेत्रीय भारतीय सिनेमा की बढ़ती पहचान और सार्वभौमिक लेकिन गहरी व्यक्तिगत कहानियां कहने की इसकी क्षमता को दर्शाता है।
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