भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि नई दिल्ली अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अवैध भारतीय प्रवासियों के साथ उनके निर्वासन के दौरान दुर्व्यवहार न किया जाए। यह बयान उस समय आया जब विपक्षी दलों ने इस सप्ताह वापस भेजे गए एक समूह के साथ कथित तौर पर किए गए व्यवहार को लेकर विरोध किया। अमेरिका से लौटे एक भारतीय जसपाल सिंह ने दावा किया था कि सभी के हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां बांधी गईं थी।
बुधवार को अमेरिका के एक सैन्य विमान ने 104 निर्वासित भारतीय नागरिकों को लेकर भारत के पंजाब राज्य के सिख पवित्र शहर अमृतसर में लैंड किया। यह कदम अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रवासन नीति का हिस्सा था। यह निर्वासन ऐसे समय में हुआ जब अगले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की संभावना है। इस मुद्दे को लेकर भारत में राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया, और विपक्षी दलों ने संसद में इस पर चर्चा की मांग की कि निर्वासितों के साथ किस तरह का व्यवहार किया गया।
निर्वासन प्रक्रिया पर जयशंकर का बयान
जयशंकर ने संसद में कहा कि अमेरिका द्वारा अपनाई जाने वाली निर्वासन प्रक्रिया नई नहीं है और इसमें अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के दौरान सुरक्षा उपायों के तहत कुछ प्रतिबंधों का उपयोग किया जाता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महिलाओं और बच्चों को यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की रोक-टोक का सामना नहीं करना पड़ा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को अवैध प्रवासन उद्योग पर सख्त कार्रवाई करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उन्होंने कहा, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य देश में अवैध रूप से रह रहा है, तो उसे वापस लेने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति के मूल देश की होती है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्षों से हर साल सैकड़ों भारतीय नागरिकों को अमेरिका से वापस भेजा जाता रहा है। जयशंकर ने कहा, हम अमेरिकी सरकार के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए बातचीत कर रहे हैं कि निर्वासित भारतीय नागरिकों के साथ यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार न हो।
हथकड़ी और सुरक्षा उपायों को लेकर विवाद
बुधवार को टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्रों ने पंजाब के कुछ अधिकारियों के हवाले से बताया कि बच्चों को छोड़कर बाकी सभी निर्वासितों को विमान में हथकड़ियों में रखा गया था। अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद, निर्वासितों को घंटों जांच के बाद पुलिस की निगरानी में छोटे समूहों में वाहनों के जरिए बाहर निकाला गया।
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