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बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की बात करेंगे भारत के विदेश सचिव, दौरा आज

भारत के विदेश सचिव के ढाका दौरे से पहले बांग्लादेश ने भी गतिरोध टूटने और हालात में सुधार की उम्मीद जताई है। बांग्लादेश के विदेशी मामलों के सलाहकार मो. तौहीद ने आशा व्यक्त की है कि हालात को पटरी पर लाने के लिए परस्पर संवाद बेहद जरूरी है।

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री। / X@Doordarshan

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जारी हिंसा के बीच भारत के विदेश सचिव सोमवार को ढाका जा रहे हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री के बांग्लादेश दौरे में हिंदुओं की रक्षा पर बात एजेंडे में सबसे ऊपर है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद किसी वरिष्ठ भारतीय अधिकारी का यह पहला दौरा है। 



बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने के साथ भारत अन्य कारणों से से भी पड़ोसी देश को लेकर चिंतित है। भारत की चिंता यह है कि बांग्लादेश में जिस तरह से अराजकता थमने का नाम नहीं ले रही और हिंदुओं सहित तमाम अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है उससे देश की आंतरिक सुरक्षा को भी चुनौती मिल सकती है। 

उधर, भारत के विदेश सचिव के ढाका दौरे से पहले बांग्लादेश ने भी गतिरोध टूटने और हालात में सुधार की उम्मीद जताई है। बांग्लादेश के विदेशी मामलों के सलाहकार मो. तौहीद ने आशा व्यक्त की है कि हालात को पटरी पर लाने के लिए परस्पर संवाद बेहद जरूरी है। तौहीद ने आशा की है कि विदेश सचिवों के बीच सार्थक बात होगी।

गौरतलब है कि जब से बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता का तख्ता पलट हुआ है हालात आराजक बने हुए हैं। तब से ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा जारी है। हिंदुओं के घरों और आस्था स्थलों पर हमले किये जा रहे हैं। 

पिछले महीने इस्कॉन से जुड़े आध्यात्मिक नेता चिन्मय दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हे जेल में डाल दिया। संस्था ही ओर से और इसके हजारों-लाखों अनुयायियों की तरफ से दास की रिहाई और हिंदुओं पर हिंसा रोकने की अपील की जा रही है। भारत और दुनिया के अन्य देशों में हिंदुओं पर अत्याचार खत्म करने के लिए प्रदर्शन किये जा रहे हैं। अंतरिक सरकार के गठन के बाद भी हालात में कोई परिवर्तन नहीं आया है। 

बांग्लादेश के हालात को काबू करने और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा खत्म करने के लिए अमेरिका सहित कई देशों में समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। यह मामला ब्रिटेन की संसद में भी उठ चुका है। 

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