टेक इंडस्ट्री इस वक्त बड़े बदलाव से गुजर रही है। भारत के दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सर्विस एक्सपोर्ट कंपनी इन्फोसिस के चीफ टेक्नोलोजी ऑफिसर रफी तरफदार का कहना है कि आने वाले समय में इंडस्ट्री में कर्मचारियों को भर्ती करने के तरीके में भी बदलाव देखने को मिल सकता है। इसे लेकर प्रयोग भी शुरू कर दिए गए हैं।
इन्फोसिस उन चुनिंदा आईटी कंपनियों में से है, जो पिरामिड मॉडल का प्रयोग करती है। इसमें सबसे ज्यादा कर्मचारी एंट्री लेवल पर भर्ती किए जाते हैं। उससे ऊपर की श्रेणियों में कर्मचारियों की संख्या कम होती जाती है। इस मॉडल से कंपनियों को कम लागत में अपनी जरूरतें पूरा करने में मदद मिलती है। लेकिन अब यह तरीका बदल सकता है।
स्विट्जरलैंड के दावोस वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की बैठक में हिस्सा लेने आए रफी तरफदार ने एक इंटरव्यू में कहा कि मुझे लगता है कि टेलेंट मॉडल में कुछ बदलाव आने वाला है। यह क्या रूप लेगा और इसका आकार क्या होगा, यह देखने की बात होगी। उन्होंने बताया कि हमने भी इसे लेकर अपनी कंपनी में प्रयोग शुरू कर दिए हैं।
टेक इंडस्ट्री में जनरेटिव एआई के अधिक इस्तेमाल से अब काम करने का तरीका बदल रहा है। इसका असर नौकरियों पर भी पड़ रहा है। हालांकि इन्फोसिस के सीटीओ का कहना है कि हालात लगातार बदल रहे हैं। हमें रेस्पॉन्सिबल एआई जैसे कई ऐसे पद बनाने पड़े हैं, जो अब से पहले अस्तित्व में ही नहीं थे।
उन्होंने कहा कि इन्फोसिस अपने कर्मचारियों को नई स्किल्स सिखा रही है, साथ ही नई भूमिकाओं के लिए एक्सपर्ट तैयार करने का भी प्रयास कर रही है। उनका कहना था कि ये बदलाव का दौर है। हर कोई अपने में बदलाव कर रहा है। कोई नई स्किल सीख रहा है तो कोई अपनी मौजूदा स्किल्स को निखार रहा है।
तरफदार ने कहा कि जिम्मेदार एआई और मॉडल इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में अधिक प्रतिभाओं की जरूरत पड़ सकती है। हम भी कई नए पदों पर लोगों की भर्तियां कर रहे हैं। बता दें कि इन्फोसिस ने हाल ही में बैंकिंग, आईटी ऑपरेशन, साइबर और एंटरप्राइस के लिए चार नए स्मॉल लैंग्वेज मॉडल बनाए हैं।
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