भारतीय मूल की पॉडकास्ट होस्ट, लेखिका और प्रेरक वक्ता शेरोन एंजेल के निर्देशन में बनी फिल्म ‘द ऑडेसिटी टू ड्रीम’ का प्रीमियर 20 मई को कैलिफोर्निया के बेवर्ली हिल्स लाइब्रेरी में हुआ। यह फिल्म दक्षिण भारत के एक ग्रामीण इलाके की एक युवती मनीषा की कहानी है। वह अपनी शिक्षा के सपनों को पूरा करने के लिए कई बाधाओं को पार करती है। यह डॉक्युमेंट्री भारत और लॉस एंजिल्स दोनों में फिल्माया गया था। इसका मकसद सार्वजनिक स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गंभीर आवश्यकता पर प्रकाश डालना है।
शेरोन ने एक बयान में कहा कि मनीषा की डॉक्टर बनने की आकांक्षा, अवसरों की कमी के कारण महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करने के बावजूद, मुझसे बहुत गहराई से जुड़ी है। भारत के तमिलनाडु राज्य में पैदा हुई और स्वयं शैक्षिक अवसरों से लाभान्वित होने के कारण मुझे उनकी जीवन यात्रा से व्यक्तिगत लगाव महसूस हुआ।
यह स्क्रीनिंग गैर-लाभकारी संगठन विभा की बोर्ड सदस्य मोनिका एरांडे द्वारा आयोजित की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य वंचित बच्चों को सशक्त बनाना है। फिल्म की कहानी विभा के सीईओ अश्विनी कुमार द्वारा बताई गई एक कहानी से प्रेरित थी।
अपनी कंपनी 'ए नॉर्थ प्रोडक्शन' के माध्यम से एंजेल उन कहानियों को बनाने पर ध्यान केंद्रित करती हैं जो परिवर्तन को प्रेरित करती हैं। ‘द ऑडेसिटी टू ड्रीम’ पर उनका काम शिक्षा के मौलिक अधिकारों की बात करता है। यह बताता है कि विभा जैसे संगठन मनीषा जैसी लड़कियों का आत्मविश्वास और क्षमताओं को बढ़ाते हुए गुणवत्तापूर्ण और अंग्रेजी साक्षरता कैसे प्रदान करते हैं।
इस दौरान मोनिका ने कहा कि अंग्रेजी एक ग्लोबल लैंग्वेज के रूप में काम करती है, जो इंटरनेशनल कम्युनिकेशन के लिए आवश्यक है। भारत के संदर्भ में उच्च शिक्षा अक्सर अंग्रेजी में होती है, जिससे बच्चों के लिए बेहतर शैक्षिक अवसरों तक पहुंचने के लिए भाषा सीखना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
शेरोन ने अमेरिका में विशिष्ट शैक्षिक सुधारों की भी वकालत की जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चों को आवश्यक कौशल से लैस किया जाए, जो तेजी से बदल रही तकनीकी दुनिया में भविष्य की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। एमी पुरस्कार विजेता पत्रकार स्टेला इंगर-एस्कोबेडो और शहर की उप महापौर शारोना नाजेरियन स्क्रीनिंग में शामिल होने वाले गणमान्य लोगों में शामिल थीं। खोजी पत्रकारिता में इंगर-एस्कोबेडो के व्यापक करियर ने महत्वपूर्ण शैक्षिक मुद्दों पर प्रकाश डाला है, जो डॉक्युमेंट्री के सिस्टेमैटिक परिवर्तन के आह्वान के अनुरूप है।
‘द ऑडेसिटी टू ड्रीम’ न केवल शिक्षा प्रणाली में अमेरिकी बच्चों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों पर रोशनी डालती है, बल्कि यह लोगों को एक साथ आने और सार्थक परिवर्तन लाने के लिए एक आह्वान भी है। विभा को उम्मीद है कि यह डॉक्युमेंट्री लोगों को न्यायसंगत शिक्षा की वकालत करने और उन पहलों का समर्थन करने के लिए प्रेरित करेगा जो सीखने की बाधाओं को तोड़ती हैं।
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