जॉर्जिया टेक के जॉर्ज डब्ल्यू. वुड्रफ स्कूल ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर सौरभ साहा को अमेरिकी ऊर्जा विभाग (U.S. Department of Energy - DOE) ने अपने अर्ली करियर रिसर्च प्रोग्राम (ECRP) के तहत $875,000 का इनाम दिया है। साहा का खास काम कम कीमत पर फ्यूजन एनर्जी के लिए फ्यूल कैप्सूल बनाने के लिए रिसर्च करना है। यह बहुत अहम काम है। इस प्रकिया से सस्ती, साफ और विश्वसनीय परमाणु फ्यूजन पावर बनाने में मदद मिलती है।
प्रोफेसर सौरभ साहा का ध्यान इनर्शल फ्यूजन एनर्जी में इस्तेमाल होने वाले छोटे ईंधन कैप्सूल बनाने के लिए जरूरी मैन्युफैक्चरिंग साइंस को आगे बढ़ाने पर है। फ्यूजन एक प्रक्रिया है जो सूर्य को ऊर्जा देती है। यह एक ऐसा स्रोत है जो लगभग असीमित और साफ ऊर्जा दे सकता है। लेकिन, धरती पर फ्यूजन एनर्जी बनाना बहुत मुश्किल काम है। इसकी वजह ये है कि फ्यूजन ईंधन कैप्सूल बनाने की लागत बहुत ज्यादा है और यह एक बहुत जटिल प्रक्रिया है।
साहा का काम इन लागतों को हजारों डॉलर से कम करके एक डॉलर से भी कम करना है और इसके लिए वह ऐसे तरीके विकसित कर रहे हैं जो बड़े पैमाने पर और बिलकुल सटीक हों। साहा ने कहा, 'DOE का इनाम हमारे समूह को फ्यूजन एनर्जी के क्षेत्र में खास तरह के रिसर्च करने की इजाजत देता है। मैं बहुत खुश हूं कि मैं अपने जमाने की सबसे चुनौतीपूर्ण पर अहम प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं।'
साहा 2019 में जॉर्जिया टेक में शामिल हुए थे। इससे पहले वह लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में रिसर्च इंजीनियर थे। वो जॉर्जिया टेक में स्केलेलबल टेक्नोलॉजीज फॉर एडवांस मैन्युफैक्चरिंग (STEAM) ग्रुप का नेतृत्व करते हैं, जो माइक्रो और नेनो स्केल पर जटिल 3D स्ट्रक्चर बनाने के लिए नए तरीके विकसित करते हैं।
साहा इस साल ECRP ग्रांट पाने वाले 91 वैज्ञानिकों में से एक हैं। यह ग्रांट उन वैज्ञानिकों को सपोर्ट करता है जो अपने करियर के शुरुआती चरणों में हैं। DOE ने इस साल इन अवॉर्ड्स के लिए कुल $138 मिलियन का फंड दिया है। साहा ने 2014 में मासचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपनी पीएचडी की। इससे पहले उन्होंने भारत में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर से B.Tech और M.Tech की डिग्रियां हासिल की हैं।
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