अमेरिका की जेल में लंबे समय से कैद भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक क्रिस महाराज की मौत हो गई है। 85 वर्षीय क्रिस महाराज मियामी में डबल मर्डर के जुर्म दोषी ठहराए जाने के बाद 38 साल से हिरासत में थे। उनके केस ने पिछले कुछ वर्षों में काफी सुर्खियां बटोरी थीं।
1987 में डेरिक और डुआने मू यंग की हत्या के जुर्म में जेल भेजे जाने के बावजूद इस अपराध में क्रिस महाराज के शामिल होने को लेकर कई वर्षों से संदेह बना हुआ है। खबरों के अनुसार, त्रिनिदाद में जन्मे और 1960 से ब्रिटेन में रह रहे क्रिस महाराज हमेशा खुद को निर्दोष मानते रहे। उनके केस ने अमेरिकी न्याय सिस्टम पर भी सवाल उठाए थे।
क्रिस महाराज को शुरू में सन 1987 में मौत की सजा सुनाई गई थी। 17 साल तक जेल में रहने के बाद 2002 में उनकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। 2019 में एक जज अपने फैसले में उनकी बेगुनाही के दावों का समर्थन करते प्रतीत हुए थे। उनके खिलाफ सबूतों की निष्पक्षता को लेकर भी सवाल उठते रहे। हालांकि अमेरिका की अपीलीय अदालत ने उनकी सजा को कायम रखा।
1993 से क्रिस महाराज की पैरवी कर रहे उनके वकील क्लाइव स्टैफोर्ड स्मिथ ने महाराज की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि 38 साल तक अन्याय से लड़ते हुए आखिरकार जेल के अस्पताल में उनका निधन हो गया। स्मिथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दावा किया कि महाराज को भीड़ भरी जेल में महज तीन फीट की जगह में रखा गया था।
क्रिस महाराज की पैरोकारी में अहम भूमिका निभाने वाले कैंपेन ग्रुप Reprieve ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हम उनकी मौत के बाद भी न्याय के लिए उनकी लड़ाई को जारी रखने का प्रयास करेंगे। उनकी पत्नी मारिता, उनके परिवार, दोस्तों और वकील क्लाइव स्टैफोर्ड स्मिथ के प्रति हमारी गहरी सहानुभूति है।
अब क्रिस महाराज के शव को दफनाने के लिए ब्रिटेन भेजने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस पर 12,800 डॉलर से लेकर 19,200 डॉलर तक खर्च आने का अनुमान है। इस खर्च का इंतजाम करने के लिए एक फंडरेजिंग कैंपेन शुरू किया गया है।
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