मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में भारतीय मूल के एक शोधकर्ता ने परमाणु हथियार संपन्न देशों की सबसे बड़ी चिंता के समाधान के कई तरीके खोजे हैं। एमआईटी में सिक्योरिटी स्टडीज में डॉक्टरेट कर रहे कुणाल सिंह ने ऐसी कई रणनीतियों की पहचान की है जिससे परमाणु हथियारों का अधिक प्रभावी ढंग से प्रसार रोकने में मदद मिल सकती है।
कुणाल सिंह का शोध परमाणु निरोध और दक्षिण एशियाई सुरक्षा पर केंद्रित है। वह परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने या सैन्य कार्रवाई जैसे पारंपरिक तरीकों से अलग उपाय सुझाते हैं। उनका मानना है कि इन तरीकों से परमाणु सुरक्षा की जटिल चुनौतियों का समाधान करने में नीति निर्माताओं को सहायता मिल सकती है।
कुणाल सिंह बायनरी ट्रैप की आलोचना करते हैं, जिसमें परमाणु प्रसार विरोधी प्रयासों को अक्सर सैन्य हमला करने या कोई सैन्य हमला न करने, आर्थिक प्रतिबंध लगाने या कोई प्रतिबंध न लगाने तक सीमित किया जाता है।
उन्होंने अपने विश्लेषण के लिए कई ऐतिहासिक और हालिया घटनाओं जैसे कि 1981 में इराक और 2007 में सीरिया में परमाणु रिएक्टरों पर इजरायल के हवाई हमलों से प्रेरणा ली है। उन्होंने कहा कि इजरायल दुश्मनों से घिरा देश है। उसे अक्सर परमाणु धमकियां मिलती हैं, लेकिन अपनी सैन्य शक्ति के दम पर उसने ऐसी धमकियों को बेअसर कर रखा है। जबकि बहुत से देश सबसे पहले राजनयिक तरीकों से इस तरह के संकट से निपटने में यकीन करते हैं।
आईआईटी खड़गपुर से पढ़े कुणाल सिंह हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार रहे हैं। वह पहले सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर लिखा करते थे, उसके बाद उन्होंने परमाणु सुरक्षा अनुसंधान पर अपना फोकस कर लिया और अपनी अकादमिक विशेषज्ञता का विस्तार करने के लिए एमआईटी में शामिल हो गए।
उनका शोध क्षेत्र में परमाणु अप्रसार की प्रचलित धारणाओं को चुनौती देता है जिसमें पांच अलग-अलग रणनीतियों को उजागर किया गया है। इसमें काइनेटिक रिवर्सन, मिलिट्री कोएर्सन, डिप्लोमेटिक इन्हीबिशन शामिल हैं। उनका कहना है कि काइनेटिक रिवर्सन रणनीति के तहत इजरायल की तरह सीधा हमला करके, सैन्य दवाब वाली रणनीति में ताकत का मध्यम प्रदर्शन करके और राजनयिक उपाय के तहत आर्थिक प्रतिबंध लगाकर परमाणु खतरों को टाला जा सकता है।
कुणाल सिंह का कहना है कि इनके अलावा 'पूल्ड प्रिवेंशन' और 'अकोमोडेशन' जैसे तरीके भी इस्तेमाल किए जा सकते है। पूल्ड प्रिवेंशन में कई देश एकजुट होकर आर्थिक और सैन्य दबाव डालते हैं। अकोमोडेशन में अधिक संयमित दृष्टिकोण अपनाया जाता है, जिसमें राष्ट्र बिना दखल दिए परमाणु विकास को स्वीकार कर लेते हैं। यह कुछ वैसा ही है, जैसा कि अमेरिका ने चीन के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ सैन्य कार्रवाई न करने का फैसला किया था।
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