कनाडा के भारतीय मूल के संसद सदस्य चंद्रा आर्य ने 23 जून को एयर इंडिया फ्लाइट 182 पर हुए आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। यह हमला 39 साल पहले हुआ था। एयर इंडिया फ्लाइट 182, जिसे कनिष्क फ्लाइट के नाम से भी जाना जाता है। 23 जून, 1985 को खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा इसे एक बम से उड़ा दिया गया था। इस हमले में 329 लोगों की जान गई थी। इनमें से अधिकांश भारतीय मूल के कनाडाई थे।
कनाडा की संसद में अपने भावपूर्ण भाषण में सांसद ने 1985 के हमले के लिए जिम्मेदार चरमपंथी विचारधारा पर जोर दिया और कहा कि यह कनाडा में कुछ लोगों के बीच अभी भी मौजूद है। उन्होंने कहा कि 23 जून आतंकवाद के शिकार हुए लोगों के लिए राष्ट्रीय स्मरण दिवस है। 39 साल पहले इसी दिन कनाडाई खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा लगाए गए बम से एयर इंडिया फ्लाइट 182 को उड़ा दिया गया था।
आर्य ने सदन में कहा कि इस हादसे में सभी 329 यात्री और चालक दल के सदस्य मारे गए थे। यह कनाडा के इतिहास का सबसे बड़ा सामूहिक हत्याकांड है। दुर्भाग्य से, कई कनाडाई इस बात से अनजान हैं कि आज भी इस आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार विचारधारा कनाडा में कुछ लोगों के बीच जीवित है। आर्य की टिप्पणी कनाडा की संसद में हाल ही में नामित खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की पहली पुण्यतिथि के स्मरण के बाद आई है, जिसमें हाउस ऑफ कॉमन्स में मौन अवधि शामिल है।
आर्य ने हिंसक विचारधाराओं के पुनरुत्थान पर चिंता व्यक्त करते हुए खालिस्तान समर्थकों द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का महिमामंडन करने वाले हालिया समारोहों की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि खालिस्तान समर्थकों द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का हालिया उत्सव हिंसा और घृणा का महिमामंडन करते हुए दिखाता है कि अंधेरी ताकतों को फिर से सक्रिय कर दिया गया है। यह आगे भयावह समय का संकेत देते हैं। आर्य ने कहा कि हिंदू-कनाडाई सही तौर पर इन बातों से चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि मैं एयर इंडिया बम विस्फोट के पीड़ितों के परिवारों के साथ एकजुटता में खड़ा हूं।
कनिष्क बम विस्फोट की 39वीं वर्षगांठ का स्मरणोत्सव 23 जून को पूरे कनाडा में विभिन्न स्मारक स्थलों पर किया जाएगा। ओटावा के कमिश्नर पार्क में एयर इंडिया फ्लाइट 182 स्मारक, टोरंटो में क्वीन पार्क, मॉन्ट्रियल में मोंक आइलैंड और वैंकूवर में स्टेनली पार्क में स्मरणोत्सव आयोजित की जाएंगी।
यह सालाना कार्यक्रम खालिस्तानी आतंकवादियों के मुद्दे पर नई दिल्ली और कनाडा के बीच तनावपूर्ण राजनयिक संबंधों के बीच आ रही है। पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की कथित संलिप्तता के आरोपों के बाद तनाव बढ़ गया था। आर्य ने कनाडाई लोगों से पीड़ितों को सम्मानित करने और चरमपंथी विचारधाराओं के लगातार खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्मारक सेवाओं में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जहां भी संभव हो कृपया 23 जून को स्मारक सेवाओं में शामिल हों।
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