अबू धाबी में आयोजित इंडियास्पोरा समिट फोरम फॉर गुड 2025 के समापन समारोह में येल यूनिवर्सिटी की प्रसिद्ध सैद्धांतिक खगोल वैज्ञानिक प्रियंवदा नटराजन ने वैज्ञानिक नेतृत्व और मूलभूत अनुसंधान में निवेश की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने विशेष रूप से अमेरिका और भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान को अधिक प्राथमिकता देने का आह्वान किया।
नटराजन ने पर्यावरणीय मुद्दों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "हमें यह समझना होगा कि यह पृथ्वी ही हमारे पास एकमात्र घर है। हमारे पास कोई 'प्लैनेट बी' नहीं है। इसलिए हमें इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी।"
समिट के "विश्व के लिए नए मॉडल और भविष्य के लिए नए मॉडल" विषय पर बोलते हुए नटराजन ने ब्लू-स्काई रिसर्च की अहमियत को रेखांकित किया। उन्होंने अमेरिका और भारत दोनों में सरकारों और निजी दानदाताओं से मूलभूत वैज्ञानिक अनुसंधान में गहरी निवेश करने की अपील की। उन्होंने कहा, "अगर एक पल के लिए सोचें, तो आज हमारे जीवन का हर आविष्कार और नवाचार—जैसे आपकी जेब में रखा मोबाइल फोन—1900 के दशक की शुरुआत में हुई क्वांटम मैकेनिक्स क्रांति के बिना संभव नहीं होता।"
हालांकि, नटराजन ने अमेरिका में विज्ञान के प्रति बढ़ती अविश्वास पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और टीकों की प्रभावशीलता पर संदेह करने वालों की मानसिकता को "गंभीर रूप से चिंताजनक" बताया। उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन का खंडन और टीकों की प्रभावशीलता पर अविश्वास एक गंभीर समस्या है। विज्ञान ही वह सशक्त माध्यम है, जिससे हम ब्रह्मांड और संसार से प्राप्त सूचनाओं को वैज्ञानिक तथ्यों में परिवर्तित कर सकते हैं।"
नटराजन ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक वैश्विक चुनौतियों का समाधान विज्ञान के बिना संभव नहीं है। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, "हमारी सभी जटिल वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए विज्ञान आवश्यक है, इसके साथ ही मानव प्रयास और प्रतिबद्धता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।"
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