एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (ASU) में एक भारतीय मूल के रिसर्चर रोबोटिक्स में प्रगति का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने एक AI टूलकिट बनाया है जिसका मकसद रोबोट को 'गंदे, नीरस या खतरनाक' काम करने में सक्षम बनाना है। यह प्रोजेक्ट कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर सिद्धार्थ श्रीवास्तव के नेतृत्व में चल रहा है। इसका लक्ष्य है रोबोट को स्वतंत्र रूप से जटिल काम सीखने और करने में सक्षम बनाना।
प्रोफेसर सिद्धार्थ श्रीवास्तव भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने ऐसे AI समाधान बनाए हैं जो रोबोट को अधिक बेहतर तरीके से और विभिन्न उद्योगों में तैनात करने में आसान बनाएंगे। उन्होंने कहा, 'हमारा लक्ष्य रोबोट को अपने दम पर हर तरह के कामों को संभालने में सक्षम बनाना है।
श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में एक डॉक्टरेट छात्र जयेश नागपाल ने शोध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नागपाल ने दिल्ली के महाराजा अगरसेन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री पूरी की है। उन्होंने अल्फ्रेड नाम के फेच मोबाइल मैनिपुलेटर रोबोट को बनाया है, जिसने टीम के इनोवेशन का परीक्षण करने के लिए प्राथमिक मंच के रूप में काम किया।
राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन से कई अनुदानों द्वारा फंडेड AI टूलकिट में उन्नत एल्गोरिदम शामिल है, जिससे रोबोट अपने अनुभवों से सीख सकते है। फिर इन क्रियाओं को दोहरा सकते हैं। और जटिल कार्यों के लिए नई योजनाएं बना सकते हैं। इन क्षमताओं ने मैन्युअल प्रोग्रामिंग की आवश्यकता को काफी कम कर दिया, जो स्वास्थ्य सेवा, विनिर्माण और आपदा रिकवरी जैसे क्षेत्रों में रोबोट को व्यापक रूप से अपनाने में एक प्रमुख बाधा थी।
नागपाल का अल्फ्रेड के साथ काम ने AI टूलकिट के व्यावहारिक इस्तेमाल को सामने लगाया है। उन्होंने कहा कि हमने अल्फ्रेड को भोजन के बाद बर्तन साफ करने के लिए प्रशिक्षित किया। उसे दिखाया कि कैसे वस्तुओं को उठाना और रखना है। नागपाल ने कहा, 'नए एल्गोरिदम का उपयोग करके अल्फ्रेड बिना किसी पूर्व-प्रोग्राम किए गए निर्देशों के बिना, ले जाने का सबसे अच्छा मार्ग निर्धारित करने, अपनी बाहों को कैसे इस्तेमाल करना है और बर्तन कहां रखना है आदि काम अपनी मर्जी से तय करने में सक्षम था।'
यह देखते हुए कि अनिश्चित वातावरण में स्वतंत्र रूप से संचालित होने की रोबोट की क्षमता उन उद्योगों में क्रांति ला सकती है जो स्वचालन पर निर्भर करते हैं, श्रीवास्तव ने शोध के व्यापक निहितार्थों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस तकनीक में अस्पताल के संचालन में सुधार करने, आपदा रिकवरी में सहायता करने और यहां तक कि ऐसे वातावरणों में कार्यों को संभालने की क्षमता है जो मनुष्यों के लिए खतरनाक हैं।
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