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शरीर की आंतरिक घड़ी पर शोध के लिए भारतीय मूल की उर्बशी को मिला यह सम्मान

उर्बशी बासु को प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंशियल पोस्टडॉक्टरल रिसर्च फैलो 2024 में से एक चुना गया है। बासु मॉलिक्यूलर बायोलॉजी विभाग में शामिल होंगी। यहां उनका काम इस बात को समझने पर केंद्रित होगा कि शरीर की आंतरिक घड़ी इम्यून फंक्शन को कैसे प्रभावित करती है।

बासु ने भारत के कलकत्ता विश्वविद्यालय से जीव विज्ञान में पीएचडी, जैव प्रौद्योगिकी में एमएससी और सूक्ष्म जीव विज्ञान में बीएससी की डिग्री प्राप्त की है। / mage - Denise Applewhite/ Princeton University

टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज में भारतीय मूल की शोधकर्ता उर्बशी बासु को प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंशियल पोस्टडॉक्टरल रिसर्च फैलो 2024 में से एक चुना गया है। बासु मॉलिक्यूलर बायोलॉजी विभाग में शामिल होंगी। यहां उनका काम इस बात को समझने पर केंद्रित होगा कि शरीर की आंतरिक घड़ी इम्यून फंक्शन को कैसे प्रभावित करता है। दिन-रात के चक्र में शरीर की संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को कैसे असर करता है।

एक बहु-विषयक शैक्षणिक माहौल में अपने काम को जारी रखने के अवसर के बारे में उत्साह व्यक्त करते हुए बासु ने कहा, 'मुझे प्रिंसटन प्रेसिडेंशियल पोस्टडॉक फैलो में से एक के रूप में चुने जाने पर बहुत खुशी हो रही है।

बताया गया है कि प्रेसिडेंशियल पोस्टडॉक्टरल रिसर्च फैलो प्रोग्राम अभी अपने पांचवें वर्ष में है। यह शुरुआती करियर वाले उन स्कॉलर्स को सपोर्ट करता है जिनसे अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान की उम्मीद है। फेलोशिप दो साल तक वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इससे शोधकर्ता अपनी विषयगत विशेषज्ञता को गहरा कर सकते हैं और नए विचारों के साथ जुड़ सकते हैं।

बासु का रिसर्च इम्यूनोलॉजी में महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने का लक्ष्य रखता है। इसका वैश्विक स्तर पर कम संसाधन वाले समुदायों में स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के लिए संभावित निहितार्थ है। बासु ने भारत के कलकत्ता विश्वविद्यालय से जीव विज्ञान में पीएचडी, जैव प्रौद्योगिकी में एमएससी और सूक्ष्म जीव विज्ञान में बीएससी की डिग्री प्राप्त की है।

 

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