नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी (Northeastern University) के प्रोफेसर राहुल भार्गव ने एक ऐसा AI टूल विकसित किया है जो जमीनी स्तर के संगठनों को नागरिक और मानवाधिकारों के उल्लंघन की निगरानी करने के तरीके को बदल रहा है। ये उपकरण डेटा संग्रह के लिए आवश्यक समय को काफी कम करते हैं। इससे संगठन लिंग आधारित हिंसा, पुलिस की बर्बरता और अन्य महत्वपूर्ण मानवाधिकार मुद्दों जैसी घटनाओं पर अधिक कुशलता से नजर रख सकते हैं।
राहुल भार्गव ने कहा कि ये समस्याएं महत्वपूर्ण हैं और हमारे आसपास की दुनिया पर उनका गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने लिंग आधारित हिंसा, पुलिस की बर्बरता और अन्य महत्वपूर्ण मानवाधिकार मुद्दों जैसी घटनाओं पर कुशलता से नजर रखने के महत्व पर जोर दिया। भार्गव के एआई उपकरण विशेष रूप से प्रत्येक संगठन की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। वे मीडिया डेटाबेस को स्कैन करते हैं, प्रासंगिक जानकारी को फिल्टर करते हैं और घटनाओं को सटीक मानदंडों के अनुसार क्लासिफाइड करते हैं। इस प्रक्रिया ने डेटा संग्रह के लिए आवश्यक समय को काफी कम कर दिया है। कुछ मामलों में इसे छह घंटे से घटाकर महज एक घंटे कर दिया है।
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के कैथरीन डी'इग्नाजियो (Catherine D’Ignazio) के साथ मिलकर भार्गव ने इन उपकरणों को विभिन्न संगठनों का समर्थन करने के लिए तैयार किया है। यह एआई मॉडल न केवल डेटा हासिल करते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि संगठनों को उनके प्रयासों के लिए आवश्यक समय पर सटीक जानकारी मिले। भार्गव का कहना है कि हम जिस भी समूह के साथ काम करते हैं, उसके लिए एक नया मॉडल बनाते हैं। यह मॉडल एआई उपकरणों और तकनीकों का एक समूह है जिसे उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जिनकी इन्हें बहुत ही आवश्यकताएं हैं।
डेटा एम्पावरमेंट फंड के समर्थन से भार्गव अपने काम का विस्तार कर रहे हैं। इसके पीछे मकसद ये है कि अमेरिका, मेक्सिको, उरुग्वे, ब्राजील और अर्जेंटीना में अधिक संगठनों तक पहुंचा जा सके। उनका ओपन-सोर्स दृष्टिकोण अन्य समूहों को इन उपकरणों को अपने और उपयोग करने की अनुमति देता है, जिससे उनका प्रभाव और बढ़ता है। भार्गव ने कहा कि कई देशों में इस प्रकार का डेटा (सरकार द्वारा) एकत्र नहीं किया जाता है।
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