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नासा के खास प्रोजेक्ट की भारतवंशी को कमान, जंगल की आग पर लगाएंगे ब्रेक

इस परियोजना को नासा के फायरसेंस टेक्नोलॉजी प्रोग्राम के तहत 2 मिलियन डॉलर की फंडिंग प्राप्त हुई है।

भारतीय मूल के प्रोफेसर गिरीश चौधरी /

भारतीय मूल के प्रोफेसर गिरीश चौधरी नासा द्वारा वित्त पोषित एक नवीन परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं। इस परियोजना का उद्देश्य जंगल की आग की भविष्यवाणी और प्रतिक्रिया में सुधार लाना है। गिरीश  इलिनॉयस ग्रेंजर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ हैं। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में प्रोफेसर चौधरी, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद अलीपुर और नासा जेपीएल, यूसी सैन डिएगो और यूएस फॉरेस्ट सर्विस के विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उनकी टीम जंगल की आग के जोखिम को सटीक रूप से आंकने और उसके फैलने की भविष्यवाणी करने के लिए एक विशेष रडार प्रणाली विकसित कर रही है।

इस परियोजना को नासा के फायरसेंस टेक्नोलॉजी प्रोग्राम (FIRET-23) के तहत 2 मिलियन डॉलर की फंडिंग प्राप्त हुई है। यह कार्यक्रम पृथ्वी अवलोकन क्षमताओं को बढ़ाने और जंगल की आग की सटीक भविष्यवाणी के लिए अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है।

पेड़ों के घने आवरण के नीचे ईंधन की सटीक पहचान में सफलता
परंपरागत रिमोट सेंसिंग विधियाँ घने जंगलों के नीचे छिपे सूखे वनस्पति जैसे ईंधन को पहचानने में कठिनाई का सामना करती हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए, चौधरी की टीम एक उन्नत यूएएस (अनमैन्ड एरियल सिस्टम) आधारित कैनोपी-पेनेट्रेटिंग रडार प्रणाली विकसित कर रही है, जिससे जंगल की आग की रोकथाम और नियंत्रण में महत्वपूर्ण सुधार की संभावना है।

अंतर-विषयक विशेषज्ञता का संयोजन
इस परियोजना में रिमोट सेंसिंग, मशीन लर्निंग और फायर इकोलॉजी जैसे विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हैं। चौधरी की टीम जंगल की आग के शोध में नई संभावनाएँ तलाश रही है और आपदा प्रतिक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य कर रही है।

प्रोफेसर चौधरी की शिक्षा और करियर यात्रा
प्रोफेसर गिरीश चौधरी का अनुसंधान रिमोट सेंसिंग, प्रिसीजन एग्रीकल्चर और पर्यावरण निगरानी जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में फैला हुआ है। उन्होंने इन क्षेत्रों में नवीनतम तकनीकों का विकास कर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अलावा, चौधरी अर्थसेंस, इंक. के सह-संस्थापक और सीटीओ भी हैं, जो एक एग्रीकल्चरल रोबोटिक्स और एआई प्लेटफॉर्म है।

चौधरी का जन्म मुंबई में हुआ था और उन्होंने अपने शुरुआती वर्ष कुमटा में अपने दादा-दादी के साथ बिताए। उनके दादा ने उन्हें विज्ञान, विशेष रूप से खगोल भौतिकी में रुचि लेने के लिए प्रेरित किया। बाद में, उनका रुझान एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की ओर हुआ, और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के आरएमआईटी से डिग्री प्राप्त की। उन्होंने जर्मनी में आर्टिस अनमैन्ड एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट पर काम करने के बाद जॉर्जिया टेक से पीएचडी पूरी की और एमआईटी में पोस्टडॉक किया। इसके बाद, वे ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी में फैकल्टी सदस्य के रूप में शामिल हुए।

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