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अमेरिका में एक फेडरल जज ने ट्रम्प प्रशासन को 21 वर्षीय भारतीय अंडरग्रेजुएट छात्र कृष्ण लाल इसरदासानी का वीजा रद्द करने से अस्थाई रूप से रोक दिया है। इसरदासानी यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन–मैडिसन (Wisconsin-Madison) में 2021 से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। वह कुछ ही हफ्तों बाद अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले थे।
4 अप्रैल को UW-मैडिसन की इंटरनेशनल स्टूडेंट सर्विसेज से उन्हें पता चला कि उनका वीजा अचानक कैंसिल कर दिया गया है। इसका मतलब था कि 2 मई से (ग्रेजुएशन से आठ दिन पहले) उनकी अमेरिका में रहने की इजाजत खत्म हो जाएगी। इस मामले में न तो यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इनफोर्समेंट (ICE) ने, न ही स्टेट डिपार्टमेंट ने कोई पूर्व सूचना दी थी।
यह मामला ट्रम्प प्रशासन की सख्त अंतरराष्ट्रीय छात्र पाबंदियों के तहत दर्जनों केसों में से एक है। 15 अप्रैल को जारी एक आदेश में यूएस डिस्ट्रिक्ट जज विलियम कॉनली ने पाया कि इसरदासानी को अगर कोर्ट से राहत न मिली तो उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
जज कॉनली ने लिखा, 'समय पर अकादमिक प्रक्रिया खो जाने का नुकसान ही अपूरणीय क्षति को साबित करने के लिए काफी है। इसरदसानी के शैक्षणिक खर्चों और अमेरिका छोड़ने पर होने वाले संभावित नुकसान को देखते हुए, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि उन्हें अपूरणीय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।'
इस आदेश ने सरकार को 28 अप्रैल तक इसरदासानी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई—चाहे हिरासत हो या निष्कासन—करने से रोक दिया है। इसरदासानी ने कोर्ट में बताया है कि इस प्रक्रिया ने उन्हें गहरा मानसिक आघात दिया है। उन्हें सोने में दिक्कत हो रही है और उन्हें डर रहता है कि कभी भी उन्हें हिरासत में लेकर डिपोर्ट कर दिया जाएगा। वह यह भी कहते हैं कि उन्हें अपने घर से बाहर निकलने में भी डर लगता है क्योंकि किसी भी पल उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
कानूनी दस्तावेज से पता चलता है कि वीजा रद्द होने से इसरदसानी और उनके परिवार पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। उन्होंने अमेरिका में उसकी पढ़ाई पर करीब 240,000 डॉलर खर्च किए हैं। अगर उसे डिग्री पूरी करने से पहले निष्कासित कर दिया जाता है, तो वह इस सेमेस्टर के 17,500 डॉलर के ट्यूशन फीस गंवा देगा और अपने मैडिसन के अपार्टमेंट के चार महीने के किराए के लिए भी जिम्मेदार होगा।
इसरदासानी की तरफ से मैडिसन की इमिग्रेशन वकील शबनम लोटफी लड़ रही हैं, जिन्होंने फेडरल सरकार की इस कार्रवाई को न सिर्फ अन्यायपूर्ण बल्कि बेहद हानिकारक बताया। उन्होंने सरकार की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा, 'अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने बिल्कुल कोई गलत काम नहीं किया है। उन्होंने अमेरिकी कानूनों का पालन किया है और अपनी छात्र स्थिति की शर्तों का पूरी तरह से पालन किया है। वे इसके योग्य नहीं हैं। अमेरिका को इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।'
इसरदासानी अकेले नहीं हैं। उनके जैसे मामलों का एक चिंताजनक सिलसिला देश भर के यूनिवर्सिटीज में देखने को मिल रहा है। अकेले UW–मैडिसन में कम से कम 26 छात्रों का वीजा रद्द किया गया है। UW–मिल्वौकी में 13 छात्रों का और विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी सिस्टम के कई अन्य छात्रों का वीजा भी हाल के हफ्तों में रद्द हुआ है। एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक पूरे देश में 128 से अधिक कॉलेज और यूनिवर्सिटी में कम से कम 901 छात्रों का वीजा रद्द किया गया है। इनमें कुछ को प्रोटेस्ट में हिस्सा लेने या ट्रैफिक उल्लंघन जैसी मामूली वजहों से परेशानी झेलनी पड़ी।
कोर्ट के दस्तावेजों में कहा गया है कि इसरदसानी के वीजा को नवंबर 2024 में एक बार के अशांत व्यवहार के आरोप के कारण रद्द किया गया है। उस वक्त जब वह बार से घर जा रहे थे, तो उनके दोस्तों और अजनबियों के साथ रात में बहस हुई थी। हालांकि स्थानीय जिला अधिवक्ता इस्माइल ओजैन ने मामला दर्ज नहीं किया और इसरदसानी को कभी अदालत में नहीं बुलाया गया।
जज कोनले ने मामले में उचित प्रक्रिया की कमी की तीखी आलोचना की और लिखा कि इसरदसानी को कोई चेतावनी नहीं दी गई, न ही अपना पक्ष रखने या बचाव करने का मौका दिया गया। इस समय, इसरदसानी का भविष्य 28 अप्रैल की सुनवाई पर निर्भर करता है, जो तय करेगा कि वह स्नातक समारोह में भाग लेंगे या बिना डिप्लोमा के घर वापस जाएंगे।
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