राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस / X@KamalaHarris
अमेरिका के परिवर्तनशील चुनावी परिदृश्य में इस समय जो हवाएं बह रही हैं उनमें प्रफुल्लित भारतवंशियों के आशावाद की तरंगें सहज देखी जा सकती हैं। खासतौर से डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस के पक्ष में बढ़ते समर्थन ने भारतीय मूल के लोगों और भारतीय-अमेरिकियों को उम्मीदों से भर दिया है। पिछले महीने राष्ट्रपति जो बाइडेन के चुनावी दौड़ से हटने और भारतवंशी कमला हैरिस को शीर्ष पद का दावेदार और उम्मीदवार बनाये जाने के बाद से उनके और डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन और लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है। उम्मीदवार बदल जाने से पार्टी का जो जनाधार खिसक रहा था वह एकत्र हुआ है। सत्ता में बने रहने के अवसर अधिक हो गये हैं। और जाहिर तौर पर भारतवंशी इसलिए बाउम्मीद हैं क्योंकि हैरिस में वे 'अपनी जड़ों' की मजबूती देख रहे हैं।
चुनावी माहौल में पार्टी के हक में इससे बेहतर और क्या हो सकता है कि हैरिस ने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के गढ़ में भी सेंध लगा दी है। स्विंग राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन में माहौल बन गया है। इस बीच कुछ राजनीतिक घटनाक्रम भी ऐसा रहा जिसने डेमोक्रेटिक पार्टी की चुनावी विजय की संभावनाएं बढ़ाई है। एक समय तक हैरिस को लेकर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा चुप्पी साधे हुए थे। मगर अब वे हैरिस के समर्थन में न केवल खुलकर बोल रहे हैं, उनमें अमेरिका के भविष्य के प्रति विश्वास व्यक्त कर रहे हैं बल्कि ट्रम्प को लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं। पिछले दिनों शिकागो में डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन (डीएनसी) में बराक ओबामा का संबोधन हैरिस के लिए भी व्यक्ति उपलब्धि और एक बड़ा समर्थन है। डीएनसी में दूसरे दिन ओबामा ने दो टूक कहा- अमेरिका एक नये अध्याय के लिए तैयार है ...और हम कमला हैरिस के लिए तैयार हैं। राष्ट्रपति बाइडेन ने भी डीएनसी के पहले दिन कमला हैरिस को पार्टी की कमान सौंपी और विश्वास व्यक्त किया वे ऐतिहासिक राष्ट्रपति साबित होंगी।
बहरहाल, इस साल के शुरुआत में जब अमेरिका में चुनाव की सरगर्मी तेज हुई थी उस समय और भी भारतवंशी चुनाव मैदान में थे। निकी हेली की शुरुआती चमक बाद में फीकी पड़ती चली गई और अपने अभियान के आरंभिक चरण में भाषणों के दम पर भीड़ जुटाने वाले विवेक रामास्वामी ने दौड़ तो तेज लगाई मगर वह भी देर तक मैदान में न रह सके। रिपब्लिकन रामास्वामी ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प को समर्थन के ऐलान के साथ विराम लिया। एक समय जब लगने लगा कि अब मुकाबला ट्रम्प और बाइडेन में ही होगा तो मतदाताओं के पास इन दोनों में से एक को चुनने का ही विकल्प था। हालांकि बाइडेन और ट्रम्प के नकारात्मक पहलू अमेरिकी अवाम के दिमाग में चक्कर काट रहे थे। किंतु विकल्पहीनता की स्थिति थी। लेकिन हैरिस के रूप में जैसे ही तीसरा विकल्प खुला तो हवाएं ही बदल गईं। जनता बाइडेन और ट्रम्प दोनों को देख चुकी थी, ऐसे में हैरिस ने भावतवंशयों को ही नहीं अमेरिकियों को भी एक नया आशावाद दिया। अब इस आशावाद का दायरा बढ़ रहा है। इसीलिए भारतवंशी स्वाभाविक रूप से खुश हैं। रही बात हैरिस की तो वे खुद को अमेरिकी और भारत की बेटी बताकर संतुलन का सियासी तीर चला चुकी हैं।
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