दुनिया घूमने के मामले में भारतीयों ने दूसरे देशों को पीछे छोड़ दिया है. इस साल 84 फीसद भारतीय सैर-सपाटे की योजना बना रहे हैं. जो कि दूसरे देशों के लोगों से 16 फीसद ज्यादा है. खास बात यह है कि इनमें से 58 फीसद ऐसे हैं जिन्होंने अचानक घूमने का मन बनाया है. इससे पता चलता है कि घूमने को लेकर भारतीय कितने उत्साहित रहते हैं,
अमेरिकन एक्सप्रेस की 2024 की ग्लोबल ट्रेंड्स रिपोर्ट ने भारतीयों के इस घुमक्कड़ी स्वभाव से पर्दा हटाया है. सात देशों अमेरिका, यूके, कनाडा, जापाना, आस्ट्रेलिया और मेक्सिको में किए गए एक सर्वे के बाद भारतीयों की अकेले और अचानक घूमने निकल पड़ने की आदत का पता चला है. रिपोर्ट बताती है कि इस साल 84 फीसद भारतीय सोलो ट्रिप पर जा रहे हैं, जबकि बाकी छह देशों में यह आंकड़ा 66 फीसद ही है,
ऐकला चलो रे...
सर्वे के मुताबिक घूमने वाले भारतीयों में से ज्यादातर इसलिए यात्रा करना चाहते हैं ताकि खुद के लिए समय निकाल सकें, खुद को सही से जान सकें. 46 फीसद भारतीयों का कहना है कि वह यात्रा के जरिए मोटीवेशन के लिए खुद से रीकनेक्ट होना चाहते हैं. 39 फीसद ने कहा कि भागदौड़ भरी जिंदगी में यात्रा के पल उनके लिए एक ठहराव और सुकून लेकर आते हैं. वहीं 34 फीसद लोगों ने कहा कि यात्रा के दौरान मिलने वाली आजादी उन्हें लुभाती है.
मूमेंट ट्रिप की दीवानगी
यात्रा के दीवाने भारतीयों में से 58 फीसद ऐसे निकले जिनका पहले से कोई प्लान नहीं था और आखिरी समय पर उन्होंने यात्रा पर जाने का फैसला किया. अंतिम समय में यात्रा को लेकर अपना उत्साह दिखाने के मामले में भारतीयों ने दूसरे देश के लोगों को कहीं पीछे छोड़ दिया है. इनमें से 50 फीसद ऐसे भारतीय थे जिन पर यात्रा पर जाने को लेकर कोई दबाव नहीं था. 49 फीसद एक से ज्यादा डेस्टीनेशन पर घूमने जा रहे हैं. 48 फीसद नई संस्कृतियों को जानने और दिलचस्प अनुभव लेने के लिए यात्रा पर जाने का मन बना चुके हैं.
भारतीयों की घुमक्कड़ी प्रवृति को रिपोर्ट के इस निष्कर्ष से भी बल मिलता है कि इनमें से 40 फीसद भारतीय ऐसे थे जिन्होंने यात्रा से एक सप्ताह पहले या इसके बाद बुकिंग कराई. 69 फीसद ऐसे थे जिन्होंने एक तरफ से टिकट बुक कराई ताकि वापसी के दौरान वह सहज रह सकें.
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीयों को यात्रा के लिए प्रेरित करने में सबसे ज्यादा सोशल मीडिया का 64 फीसद, परिवार के सदस्यों का 56 फीसद और ट्रैवलिंग वेबसाइट्स का 46 फीसद योगदान रहा. भारतीय अपने नजरिए और प्राथमिकताओं के कारण अब विश्व भ्रमण के मामले में सबसे आगे निकल रहे हैं बल्कि यात्रा उद्योग के भविष्य निर्माण में भी अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं.
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