प्लेजियरिजम (plagiarism), जिसे साहित्यिक चोरी, पर्सनल स्टेटमेंट या आइडिया की चोरी भी कह सकते हैं, ब्रिटेन में इसका चलन बढ़ता जा रहा है। ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में अपने स्नातक आवेदनों पर पर्सनल स्टेटमेंट चोरी करते पकड़े गए छात्रों की संख्या पिछले दो वर्षों में दोगुनी हो गई है। आश्चर्य की बात यह है कि इनमें सबसे अधिक संख्या भारतीयों की है। पर्सनल स्टेटमेंट का मतलब है कि आवेदकों को अपने शब्दों में, खुद के बारे में बताने की जरूरत होती है। लेकिन इसे भी दूसरों से कॉपी करने का चलन बढ़ता जा रहा है। इसमें ChatGPT जैसे AI टूल काफी मददगार साबित हो रहे हैं।
यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेज एडमिशन सर्विस (यूसीएएस) के एक प्रवक्ता ने कहा कि 2023 में ऐसे 7,300 और 2021 में 3,559 आवेदनों की पहचान की गई थी। 2023 में 7,300 में से 765 आवेदन भारत के आवेदकों द्वारा दिए गए थे। UCAS के अनुसार, पर्सनल स्टेटमेंट की चोरी करने वालों में भारत नंबर वन है। इसके बाद नाइजीरिया, रोमानिया और चीन हैं। मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी (एमएमयू), यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रीनविच और बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी में सबसे ज्यादा ऐसे आवेदकों की पहचान की गई थी।
यूसीएएस के मुख्य कार्यकारी (अंतरिम) सैंडर क्रिस्टेल का कहना है कि पर्सनल स्टेटमेंट (व्यक्तिगत बयान) का मतलब है कि आवेदकों को अपने शब्दों में, खुद के बारे में बताना होता है। यूसीएएस प्रत्येक पर्सनल स्टेटमेंट की समीक्षा करती है और जहां यह एक दूसरे से मिलती है, उसे मार्क कर दिया जाता है। क्रिस्टेल का कहना है कि हमने यह बहुत स्पष्ट कर दिया है कि ChatGPT जैसे AI टूल से अपने पर्सनल स्टेटमेंट तैयार करना और इसे अपने शब्दों के तौर पर पेश करना, धोखाधड़ी माना जा सकता है।
इस बारे में एक भारतीय अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट ने माना कि कुछ भारतीय पर्सनल स्टेटमेंट शेयर करते हैं। उस स्टेटमेंट को उसी कोर्स के लिए अप्लाई करने वाले भारतीय छात्र इस्तेमाल कर लेते हैं। मुझे लगता है कि वे आत्मविश्वास की कमी के कारण ऐसा करते हैं। क्योंकि उन्हें पता नहीं है कि उन्हें कैसे लिखना है। भारत में कुछ एजेंट पैसे के लिए इसके लिए मदद की पेशकश करते हैं। भारत और ब्रिटेन में ऐसी कंपनियां भी हैं जो पैसे की खातिर आपका असाइनमेंट लिखने के लिए तैयार हो जाते हैं।
एक भारतीय स्नातकोत्तर छात्र का इस बारे में कहना है कि भारत और चीन में कई संगठन हैं जिन्हें शिक्षा सलाहकार कहा जाता है, जो छात्रों को अपने पर्सनल स्टेटमेंट लिखने में मदद करते हैं। आप सोशल मीडिया पर कई ऐसे विज्ञापन देख सकते हैं, जिनमें ब्रिटेन और भारत में वॉट्सऐप नंबरों के साथ रिसर्च पेपर, निबंध, शोध प्रबंध, यहां तक कि 'मैथ्स, फिजिक्स और केमिस्ट्री' भी फीस लेकर पूरा करने की पेशकश की गई है।
NISU यूके के संस्थापक और अध्यक्ष सनम अरोड़ा का कहना है कि एनआईएसएयू में हम कई वर्षों से छात्रों को इस तरह के बेईमान असाइनमेंट सहायकों का उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं। एक पूरा संदिग्ध इको सिस्टम तंत्र है। माइग्रेशन सलाहकार समिति यह सुनिश्चित करे कि यह एजेंटों के साथ विश्वविद्यालयों की व्यवस्था की समीक्षा करे कि ब्रिटेन की शिक्षा विदेशों में कैसे बेची जाती है।
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