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भारत में जानवरों की सुरक्षा और परंपरा का नया तरीका, अब मंदिरों में झूम रहे हैं रोबोट हाथी

भारत के मंदिरों में अब असली हाथियों की जगह रोबोट हाथी नजर आ रहे हैं। कैद में रखे हाथियों की दुर्दशा और उनके हमलों की घटनाओं को देखते हुए, पशु अधिकार संगठन रोबोट हाथियों को एक सुरक्षित और परंपरा को बनाए रखने का विकल्प मान रहे हैं। 

हिंदू मंदिरों के कई रस्मों में हाथियों का इस्तेमाल होता रहा है। / AFP

देखो, एक हाथी। लेकिन ये असली नहीं, बल्कि मशीन से बना हुआ है, जितना बड़ा असली हाथी होता है, उतना ही बड़ा। ये भारत के मंदिरों में असली हाथियों की जगह ले रहा है, क्योंकि असली हाथी खत्म होते जा रहे हैं। इस हाथी को फाइबरग्लास और रबर से बनाया गया है। ये धातु के पहियों पर चलता है और इतना मजबूत है कि इस पर कोई सवार भी हो सकता है। जानवरों के हक में काम करने वाले लोग कह रहे हैं कि इस तरह के कई हाथी बनाए जा सकते हैं। इनसे मंदिरों में असली हाथियों को रखने की जरूरत ही नहीं रहेगी। ये हाथी अपने कान हिलाता है और सूंड़ से पानी छिड़कता भी है।

हिंदू मंदिरों के कई रस्मों में हाथियों का इस्तेमाल होता रहा है। इन हाथियों को भीड़भाड़ वाली जगहों पर घुमाया जाता है, जहां तेज रोशनी, ढोल और तेज संगीत होता है। डर के मारे हाथी हमला भी कर देते हैं, और ये आम बात है।

केरल के चक्कमपरम्भु भगवती मंदिर के एक पूर्व अधिकारी 68 साल के सी.जी. प्रकाश कहते हैं, 'ये जंगली जानवर है, इसे जंगल में रहना पसंद है। हम इसे पकड़ते हैं और जबरदस्ती काम करवाते हैं। ये बिलकुल गलत है।' प्रकाश ने ही इस रोबोट हाथी को मंदिर में लाने में अहम भूमिका निभाई। ये हाथी वॉयस फॉर एशियन एलीफेंट्स सोसाइटी ने दान किया है। सोसाइटी का कहना है कि इससे मंदिरों की परंपराएं बिना किसी दिक्कत के निभाई जा सकेंगी। 

पशु अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था PETA इंडिया का कहना है कि देश में 2700 से ज्यादा हाथी कैद में हैं। उन्हें बहुत तकलीफ और मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। ये जानवर झुंड में रहते हैं, लेकिन अक्सर इन्हें अकेला रखा जाता है और दिन भर जंजीरों से बांध कर रखा जाता है।

PETA ने 2023 से अब तक दर्जन भर से ज्यादा ऐसे रोबोट हाथी बनवा कर दान किए हैं। शर्त ये है कि मंदिर अपने हाथियों को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अभयारण्यों में भेज दें। PETA की खुशबू गुप्ता कहती हैं, 'ये रोबोट हाथी पुरानी परंपराओं को आधुनिक तरीके से निभाने में मदद करते हैं। इससे असली हाथी अपने परिवार के साथ जंगलों में रह पाएंगे।'

ये नकली हाथी भी असली हाथियों की तरह ही सोने के मुकुट और फूलों की मालाओं से सजाए जाते हैं। रोबोट हाथी बनाने वालों का कहना है कि एक बेहतरीन मॉडल, जिसमें इलेक्ट्रिक मोटर से सिर हिलाने, आंखें घुमाने और पूंछ हिलाने की सुविधा हो। यह 5500 डॉलर से ज्यादा का पड़ सकता है।

42 साल के प्रोफेशनल मॉडल मेकर प्रशांत प्रकाशन बताते हैं कि उन्होंने और उनके तीन दोस्तों ने ये हाथी बनाने का काम एक आर्ट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया था, लेकिन अब उन्हें खुशी है कि इससे असली हाथियों की रक्षा हो रही है। वह कहते हैं, 'हम हाथियों को बचा रहे हैं, और हमें इस बात की खुशी है।'

उनकी टीम ने लगभग 50 हाथी बना लिए हैं और वर्कशॉप में और भी कई हाथी बनाए जा रहे हैं। प्रशांत ने बताया कि जो लोग अपनी शादी में हाथी रखना चाहते हैं, वे ये रोबोट हाथी किराये पर ले सकते हैं। असली हाथी रखने के लिए जरूरी परमिट और खर्चा नहीं झेलना पड़ेगा। 

दरअसल, डरे हुए हाथियों के कारण भीड़ में हादसे होना आम बात है। कई मंदिरों ने इन रोबोट हाथियों का इस्तेमाल इसलिए भी शुरू किया है ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा हो सके। फरवरी महीने में ही PETA ने केरल में नौ हाथियों के काबू से बाहर होने के मामले दर्ज किए हैं, जिनमें पांच लोगों की मौत हो गई।

एक मामले में, त्योहार के दौरान आतिशबाजी से एक हाथी डर गया और उसने अपने साथी हाथी को दांत से घायल कर दिया। इससे भगदड़ मच गई जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए।हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स के वी.के. वेन्किटचलम कहते हैं, 'जो लोग हाथियों की देखभाल करते हैं, उनमें से कई नियमों का पालन नहीं करते।'

जानवरों के कल्याण पर भी अब ध्यान दिया जा रहा है। नवंबर में, केरल के उच्च न्यायालय ने कैद में रखे गए हाथियों के बेहतर इलाज के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने लिखा था, 'इनका इस्तेमाल अक्सर परंपरा और धार्मिक रीति-रिवाजों के नाम पर सही ठहराया जाता है।' 

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के मुताबिक, जंगल में 50,000 से भी कम एशियाई हाथी बचे हैं। ज्यादातर हाथी भारत में हैं, बाकी श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया में। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के अनुसार, ये प्रजाति खतरे में है। जैसे-जैसे हाथियों के रहने की जगह कम होती जा रही है, इंसानों और जंगली हाथियों के बीच टकराव बढ़ गया है। संसद के आंकड़ों के अनुसार, 2023-2024 में भारत में हाथियों ने 629 लोगों को मार डाला। 

इसी दौरान, 121 हाथियों की मौत हो गई। ज्यादातर हाथियों की मौत बिजली के तारों से लगे झटके से हुई, कुछ हाथियों की मौत शिकार, जहर और ट्रेनों से टकराने से हुई। जानवरों के अधिकारों के कार्यकर्ताओं के लिए, ये रोबोट हाथी एक सुरक्षित समाधान हैं जो धार्मिक सिद्धांतों के साथ भी फिट बैठते हैं।

PETA की गुप्ता ने एएफपी को बताया, यह पहल अहिंसा का सम्मान करती है, जो हिंदू धर्म का एक सिद्धांत है। कुछ भक्तों को ये शांत रोबोट हाथी राहत देते हैं। 58 साल की शिक्षिका जयश्री शिवरामन नारायणिया कहती हैं, 'जब असली हाथी होता है, तो हमें डर लगता है। कहीं ये बेकाबू न हो जाए? चूंकि ये रोबोट हाथी है, इसलिए हम बहुत सुरक्षित महसूस करते हैं।'

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