ट्रम्प प्रशासन के शीर्ष व्यापार अधिकारी ने सांसदों को बताया कि बाइडेन प्रशासन के पिछले दो सालों में अमेरिका का कृषि व्यापार घाटे में रहा और इसके उबरने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका में कृषि सामान पर औसत टैरिफ 5% है, जबकि भारत में यह 39% है।
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने कहा, 'हमारे कृषि व्यापार संतुलन में, जिससे पहले हमारे किसानों को व्यापार में फायदा होता था, बाइडन प्रशासन के पिछले दो सालों में घाटा हुआ है। इसमें सुधार होने में शायद कुछ समय लगेगा। ये सभी आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आपातकाल के गंभीर संकेत हैं।'
ट्रंप के व्यापार एजेंडा पर सीनेट फाइनेंस कमेटी के सामने गवाही देते हुए ग्रीर ने कहा कि अनुचित, असंतुलित और एकतरफा व्यापार इन नकारात्मक रुझानों का एक महत्वपूर्ण कारण रहा है। उन्होंने बताया कि इसमें दूसरे देशों द्वारा अमेरिका पर लगाए गए ज्यादा टैक्स का असर है। ये ऐसे गैर-टैक्स उपाय हैं जो दूसरे देशों के निर्यात को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा अमेरिका के निर्यात को रोकते हैं और ज्यादा उत्पादन को बढ़ावा देने और अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को कमजोर करने वाली दूसरे देशों की आर्थिक नीतियां शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि ये एकतरफा व्यापार नीतियां अमेरिका के वैश्विक व्यापार घाटे और कुछ खास देशों के साथ घाटे का बड़ा कारण हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प का व्यापार घाटे पर ध्यान देना बिल्कुल सही है, क्योंकि यह देश के लिए आर्थिक संकट पैदा करने वाली असमान व्यापार स्थितियों से निपटने का तरीका है।
ग्रीर ने सांसदों को बताया, 'कृषि सामानों पर हमारा औसत टैक्स सिर्फ 5 फीसदी है। जबकि भारत का औसत टैक्स 39 फीसदी है। आप इस चलन को समझ सकते हैं। इन असमान स्थितियों से हो रहा हमारा व्यापार घाटा दिखाता है कि हमारा देश चीजें बनाने, उगाने और निर्माण करने की क्षमता खो रहा है।'
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने कहा, 'यूरोपीय संघ हमें जितने चाहे समुद्री खाद्य पदार्थ बेच सकता है। लेकिन वही यूरोपीय संघ अमेरिका के 48 राज्यों से आने वाले समुद्री खाद्य पदार्थों पर रोक लगाता है। नतीजा है कि इस मामले में हमारा यूरोपीय संघ के साथ बड़ा व्यापार घाटा है।' सीनेटर माइक क्रैपो के भारत के साथ बातचीत के बारे में पूछे सवाल पर ग्रीर ने बताया कि वे कई मुद्दों पर चर्चा के लिए अपने भारतीय समकक्ष के साथ नियमित संपर्क में हैं।
क्रैपो ने कहा, 'सरकार ने घोषणा की है कि वह भारत के साथ भी एक समझौते पर बातचीत कर रही है और इसके अच्छे नतीजे पहले से ही दिखने लगे हैं। जैसे कि भारत ने अपना डिजिटल सर्विस टैक्स हटा दिया है। हालांकि भारत के टैरिफ ऊंचे हैं, लेकिन गैर-टैरिफ बाधाएं भी उतनी ही बड़ी समस्या हैं, शायद उससे भी ज्यादा।
इस पर क्रैपो ने पूछा, 'तो क्या आप इन बाधाओं से निपटने के लिए बौद्धिक संपदा, व्यापार की तकनीकी रुकावटों और वैज्ञानिक कृषि नियमों जैसे मामलों पर भारत से वादे लेने की कोशिश करेंगे?' ग्रीर ने जवाब दिया, 'हमने पहले ही भारत से डिजिटल विज्ञापन टैक्स हटवा लिया है जो हमारी कुछ सबसे मजबूत टेक कंपनियों को प्रभावित कर रहा था।
ग्रीर ने कहा, अमेरिका दूसरे देशों से बात कर रहा है कि अगर वे अमेरिका के साथ बराबरी का व्यापार चाहते हैं, तो उन्हें भी कुछ बदलाव करने होंगे। हम उनसे उम्मीद करते हैं कि वे हमारी सेवा कंपनियों के साथ भेदभाव न करें। हमारी कुछ कंपनियां दुनिया में सबसे आगे हैं।
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