मार्च महीने में भारत की बिजनेस एक्टिविटी में थोड़ी सी सुस्ती आई है। एक प्राइवेट सर्वे के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी से बढ़ोतरी हुई, लेकिन सर्विस सेक्टर धीमा पड़ गया। इसकी वजह से कुल मिलाकर ग्रोथ कमजोर हुई। सोमवार को S&P Global द्वारा तैयार की गई HSBC की फ्लैश इंडिया कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मार्च में 58.6 पर आ गई। यह फरवरी के 58.8 से थोड़ी कम है। रॉयटर्स के अनुमान से भी ये आंकड़ा कम है, उनके अनुमान के मुताबिक ये 59.0 होना चाहिए था।
50 का आंकड़ा ग्रोथ और कमी के बीच का फर्क दिखाता है। मैन्यूफैक्चरिंग PMI इंडेक्स 56.3 से बढ़कर 57.6 पर पहुंच गया, जो साढ़े तीन साल से ज्यादा समय से ग्रोथ जोन में है। लेकिन सर्विस सेक्टर, जो कि सबसे बड़ा सेक्टर है, उसका PMI इंडेक्स फरवरी के 59.0 से गिरकर 57.7 पर आ गया। इसकी वजह से कुल इंडेक्स में गिरावट आई।
HSBC में चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने कहा, 'मार्च में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आई... आउटपुट इंडेक्स जुलाई 2024 के बाद सबसे ऊंचा पहुंच गया।' डिमांड का अहम पैमाना है नए ऑर्डर और उत्पादन। यह पिछले महीने के मुकाबले बढ़े हैं। इससे मैन्युफैक्चरर्स के लिए बेहतर परिस्थितियों का संकेत मिलता है। दूसरी तरफ, सर्विस सेक्टर में नए बिजनेस कम हुए क्योंकि डिमांड कमजोर हुई।
हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टरों में अंतरराष्ट्रीय डिमांड धीमी पड़ी, जो तीन महीनों में सबसे धीमी गति है। भंडारी ने आगे कहा, 'टैरिफ के ऐलान के बीच नए एक्सपोर्ट ऑर्डर में आई कमी भी गौर करने लायक है।'
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन, कनाडा और मेक्सिको से आने वाली चीजों पर नए टैरिफ लगा दिए हैं और ट्रेड पर उनके बार-बार बदलते फैसले से कारोबार का भविष्य अनिश्चित हो गया है। 2 अप्रैल को अमेरिका के और व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाए जाने की आशंका है। ऐसे में भारतीय कारोबार आगे की गतिविधियों को लेकर कम उत्साहित हैं। आने वाले साल के लिए आशावाद सात महीने के निचले स्तर पर आ गया है, जिससे नई भर्ती की गति भी धीमी पड़ी है।
मार्च में इनपुट कॉस्ट तेजी से बढ़ी है, क्योंकि माल बनाने वालों ने तीन महीनों में सबसे ज्यादा तेजी दर्ज की है। उन्होंने कहा, 'मैन्युफैक्चरर्स पर मार्जिन का दबाव बढ़ गया है। क्योंकि इनपुट की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। जबकि फैक्टरी गेट कीमतें एक साल में सबसे कम रफ्तार से बढ़ी हैं।'
कारोबारियों ने ज्यादा इनपुट कॉस्ट ग्राहकों पर नहीं डाली और कुल मिलाकर कीमतों में बढ़ोतरी फरवरी 2022 के बाद सबसे कम रफ्तार से हुई। फरवरी में भारत की उपभोक्ता महंगाई दर पहली बार छह महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4% के मध्यकालीन लक्ष्य से नीचे आ गई, जिससे अगले महीने ब्याज दरों में और कटौती की संभावना बढ़ गई है।
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