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भारत के इन्फोटेक नियमों की वैश्विक दिग्गजों से भिड़ंत... लेकिन कहां है प्लान बी?

अर्थशास्त्र से लेकर एमबीए तक: जब आप एक कॉर्पोरेट द्वंद्व को विनाश की हद तक ले जाना चाहते हैं तो एक बैकअप योजना अवश्य रखें। यानी प्लान बी।

सांकेतिक तस्वीर / Image : Amnesty International -Colin Foo

पिछले सप्ताह दिल्ली हाईकोर्ट में लोकप्रिय इंस्टेंट मैसेजिंग एप WhatsApp के वकील ने कहा था कि भारत सरकार अपने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमों 2021 [6.4.2023 को अपडेट] के तहत आवश्यकता पड़ने पर किसी भी चैट की जानकारी के लिए एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर कर रही है। वकील ने यह भी कहा कि सरकार की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि WhatsApp को मैसेज के सोर्स के बारे में बताना होगा। यानी कोई मैसेज कब और कहां से भेजा गया इसकी जानकारी देनी होगी। मगर एन्क्रिप्शन तोड़ना कंपनी की प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ है।

वकील ने कहा कि इस तरह की जरूरत दुनिया के किसी देश में नहीं है। क्योंकि अगर ऐसा किया गया तो कंपनी को लाखों-लाख मैसेज को बरसों तक जमा करके रखना होगा। लेकिन किसी भी स्थिति में गोपनीयता WhatsApp का मुख्य मूल्य है। अगर भारत सरकार द्वारा हमे इस तरह से मजबूर किया गया तो कंपनी भारत छोड़ देगी। 

WhatsApp का भारत छोड़ने का मतलब होगा करीब 50 करोड़ उपभोक्ताओं से हाथ धोना। जाहिर है कि दुनिया में किसी एक देश में इतने उपभोक्ता नहीं हैं। कंपनी का साफ कहना है कि अगर हमसे एन्क्रिप्शन तोड़ने को कहा गया तो हम भारत छोड़ देंगे। 

WhatsApp के मालिक मेटा (पूर्व में फेसबुक) द्वारा भारतीय नियमों को चुनौती को अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया। लेकिन दुनिया के कुछ सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया टूल और एप्स को लेकर भारत की आधिकारिक बेचैनी उसके 50 करोड़ या इससे अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं और एक अरब से अधिक स्मार्टफोन पर मर मिटने वाली जनता के लिए किसी बिन बुलाई आफत से कम नहीं है। 

भारत सरकार अपनी मांग को सुरक्षा चुनौतियों अथवा सुरक्षा प्राथमिकताओँ के रूप में पेश कर रही है। WhatsApp और भारत सरकार के बीच लंबे समय से लड़ाई चल रही है। मगर कंपनी अपनी पॉलिसी के खिलाफ जाने को तैयार नहीं है, भले ही उसे भारत से जाना पड़े। 

इससे पहले फरवरी में X (पूर्व में ट्विटर) को पंजाब, हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी में विरोध कर रहे किसानों द्वारा और उनकी ओर से कई पोस्ट हटाने का आदेश दिया गया था, जिनमें सरकारी अधिकारियों पर जुर्माना और कारावास की धमकी दी गई थी। यह फरवरी 2021 में परिदृश्य की पुनरावृत्ति थी और अब एलन मस्क के स्वामित्व वाले X ने विरोध के तहत अनुपालन किया और कहा- हम अकेले भारत में इन खातों और पोस्ट को रोक देंगे, हालांकि हम इन कार्यों से असहमत हैं।

भारत सरकार की सटीक सुरक्षा खतरे की धारणा क्या है और क्या यह वास्तव में अन्यत्र लागू नियमों और आवश्यकताओं की गारंटी देता है... इस मसले पर कभी और बात करेंगे मगर अभी मैं जो कहना चाहता हूं वह यह है: ​​कि दुनिया में सबसे बड़े डेटा और इंटरनेट बाजारों के साथ वैश्विक खिलाड़ियों से यह उम्मीद करना अवास्तविक है कि वे अपने उत्पादों की विशिष्टताओं को केवल इसलिए खत्म कर देंगे ताकि वे भारत में काम कर सकें।

आप कह सकते हैं कि चीन ने व्हाट्सएप और गूगल तथा एक्स/ट्विटर पर प्रतिबंध लगा दिया है और वह इससे बच भी निकला है? यह सच है लेकिन उनके पास अपने घरेलू भाषा के ताकतवर विकल्प मौजूद थे। यानी अपने विकल्प तैयार करके ही चीन ने किसी स्पर्धी को आंखें दिखाईं। Whatsapp के लिए उनके पास WeChat था, Google के लिए Baidu था और जब ट्विटर पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो चीनी लोग Weibo पर चले गए। हालांकि गोपनीयता या सुरक्षा ही कोई अकेला कारक नहीं था जब एमेजॉन ने चीन से अपना तंबू उखाड़ (2019) लिया। दरअसल चीनियों ने अपनी ई-कॉम साइट Alibaba को भारी संरक्षण देकर आगे बढ़ाने की कोशिश की। 
 
अब सवाल उठता है कि यदि Whatsapp को एन्क्रिप्शन तोड़ने का आदेश दिया गया तो क्या Whatsapp भारत छोड़ने की अपनी धमकी पर अमल करेगा? क्या अगली बार जब एलन मस्क को भारत में X पोस्ट हटाने के लिए कहा जाएगा तो क्या वे स्वेच्छा से या अन्यथा ऐसा करेंगे? अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। 

लेकिन वह भूमि जो शासन कला के पहलुओं का आविष्कार करने और उन्हें ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में कौटिल्य यानी ​​​​चाणक्य के हाथों संहिताबद्ध करने का दावा करती है वहां एक सबक तो साफ है... अर्थशास्त्र से लेकर एमबीए तक: जब आप एक कॉर्पोरेट द्वंद्व को विनाश की हद तक ले जाना चाहते हैं तो एक बैकअप योजना अवश्य रखें। यानी प्लान बी।

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