भारत में चल रहे कुंभ मेले में बुधवार को भगदड़ के दौरान 15 लोगों की जान चली गई। यह एक विशाल हिंदू उत्सव है जो गंगा नदी के किनारे आयोजित किया जाता है। मेले में छह सप्ताह के भीतर 40 करोड़ भक्तों के आने की आने की उम्मीद है। भारत के राज्य उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में यह मेला 13 जनवरी से शुरू हुआ था और यह 26 फरवरी तक चलेगा। बता दें कि बुधवार को मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान को महत्वपूर्ण माना गया है।
आयोजकों के अनुसार भीड़ पर नियंत्रण रखने के लिए सैकड़ों कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया है। लोगों के आने-जाने पर नजर रखने और भीड़ के घनत्व से सुरक्षा को खतरा होने पर अलार्म बजाने के लिए AI का इस्तेमाल भी किया जा रहा है।
पहले कुंभ में भी हो चुकी हैं मौत
बता दें कि सरकार ने यह भी सुरक्षा मानदंड 2013 जैसी घटना को रोकना था। 2013 में हुए जब प्रयागराज में कुंभ मेला का आयोजन किया गया था। उस वक्त 36 लोगों की कुचलकर मौत हो गई थी। ऐसे ही साल 1954 में एक ही दिन में कुंभ मेले के दौरान 400 से अधिक श्रद्धालुओं की कुचलकर मौत हो गई थी। इनमें से कुछ डूबकर भी मर गए थे।
हैरान कर देने वाले आंकड़ें
इस बार के कुंभ मेले में लगभग 1,50,000 शौचालयों का बंदोबस्त किया गया है। वहीं कई सामुदायिक रसोई भी बनाई गई हैं जिनमें से प्रत्येक में एक बार में 50,000 लोगों को भोजन कराया जा सकता है। उत्तरप्रदेश सरकार के अनुसार 2019 में इस स्थल पर हुए ‘अर्ध’ कुंभ मेले में 24 करोड़ तीर्थयात्री आए थे। इस वर्ष यह संख्या 40 करोड़ हो सकती है। यह अमेरिका और कनाडा की कुल आबादी से अधिक है।
कुंभ का मतलब खो जाना नहीं है
आम तौर पर यह कहा जाता है कि कुंभ में लोग बिछड़ जाते हैं। ऐसे में इस बार सरकार ने खासे बंदोबस्त किए हुए हैं। सरकार ने खोए हुए तीर्थयात्रियों को उनके परिवारों से फिर से मिलाने में मदद करने के लिए ‘खोया और पाया’ केंद्रों के साथ-साथ एक विशेष कुंभ फोन ऐप का एक नेटवर्क स्थापित किया है।
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