नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) के भारतीय-अमेरिकी निदेशक सेथुरमन पंचनाथन ने कहा है कि हमारा संगठन चाहता है कि भारत का हर राज्य, ग्रामीण इलाका हो या शहरी, सभी सफलता की सीढ़ियां चढ़ें। इसके लिए भारत के सभी हिस्सों तक इनोवेशन की तकनीक को पहुंचाना होगा।
एनएसएफ एक स्वतंत्र एजेंसी है जो पूरे देश में विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार को बढ़ावा देती है। 9 अरब डॉलर के बजट से यह एजेंसी अनुसंधान के अलावा एसटीईएम प्रतिभाओं के विकास, छोटी कंपनियों व बड़े उद्योगों के साथ साझेदारी में निवेश करती है।
पंचनाथन ने कहा कि भारत और अमेरिका के साझा मूल्यों पर आधारित सामूहिक हित और आकांक्षाएं हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, खनन मंत्रालय और उच्च शिक्षा मंत्रालय सहित विभिन्न भारतीय एजेंसियों के साथ साझेदारी में प्रगति हो रही है।
पंचनाथन ने कहा कि हर साल जब अर्थशास्त्र, भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा होती है, तो ज्यादातर विजेता ऐसे होते हैं, जिन्हें उनके करियर की शुरुआत या पेशेवर यात्रा के दौरान एनएसएफ की तरफ से समर्थन मिला हो। उन्होंने आंकड़े देते हुए बताया कि अब तक हमने 262 नोबल पुरस्कार विजेताओं के करियर के शुरुआती दिनों में योगदान दिया है। दुनिया में कोई अन्य एजेंसी ऐसी नहीं है।
पंचनाथन ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान उनका पहला संबोधन एनएसएफ में ही हुआ था। पीएम मोदी ने फर्स्ट लेडी के साथ छोटी पैनल चर्चा में भी भाग लिया था, जिसका विषय भविष्य के उद्योगों के लिए वर्कफोर्स पर केंद्रित था।
उन्होंने कहा कि एनएसएफ ने वर्षों से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) जैसे भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों के साथ मजबूत साझेदारी विकसित की है। हमारी रणनीतिक साझेदारी के परिणामस्वरूप दो दौर में परियोजनाओं और प्रस्तावों को वित्त पोषित किया जा चुका है। भारत के सूचना तकनीक मंत्रालय और एनएसएफ के बीच अच्छी साझेदारी है। दोनों ने मिलकर कई अहम प्रोजेक्टों पर काम किया है।
पंचनाथन ने बताया कि वह आईएसईटी की अगली वार्ता के लिए अगले दो दिनों में भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन के साथ रहेंगे। इस दौरान हम देखेंगे कि इस साझेदारी को किस तरह और भी मजबूत और परिणामोन्मुखी बनाया जा सकता है।
पंचनाथन ने कहा कि हम जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका के साथ एक क्वाड साझेदारी पर भी काम कर रहे हैं। हम न केवल रक्षा व राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर बल्कि कृषि में एआई के इस्तेमाल जैसी सामाजिक परियोजनाओं पर आगे बढ़ने के तरीकों पर भी गौर कर रहे हैं।
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