साउथ एशियन बार एसोसिएशन ऑफ अमेरिका (SABA नॉर्थ अमेरिका) ने प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रम्प के उस आदेश के खिलाफ आवाज उठाई है जिसमें जन्मसिद्ध नागरिकता पर पाबंदी लगाई गई है। एसोसिएशन का कहना है कि इस फैसले से अमेरिका में काबिल विदेशी लोगों का आना कम हो जाएगा। 29 जनवरी को एसोसिएशन ने एक बयान जारी करके बताया कि ट्रम्प के कई और आदेशों से साउथ एशियन इमिग्रेंट्स और कानूनी तौर पर भी किस तरह से असर पड़ेगा।
ट्रम्प ने जैसे ही पदभार संभाला, पहले ही दिन इमिग्रेशन पर कई बड़े आदेश जारी कर दिए। इन आदेशों का मकसद था अमेरिका के इमिग्रेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव लाना। ये आदेश सख्त नियम लागू करने, लीगल इमिग्रेशन कम करने, मानवीय सुरक्षा को सीमित करने और गैर-नागरिकों पर कड़ी नजर रखने पर केंद्रित थे।
SABA ने एक बयान में कहा, 'पिछले हफ्ते से हम इन आदेशों पर रिसर्च कर रहे हैं ताकि इनका दायरा और असर समझ सकें। हम अपने मेंबर्स और पूरे साउथ एशियन कम्युनिटी की चिंताओं को भी ध्यान से सुन रहे हैं। साथ ही, अपनी आवाज बुलंद करने और लोगों के सवालों के जवाब देने के लिए जरूरी तरीके और संसाधन भी ढूंढ रहे हैं।'
अमेरिका में रहने वाले साउथ एशियन्स के अधिकारों की रक्षा के लिए SABA नॉर्थ अमेरिका पूरी तरह से वचनबद्ध है। ये संगठन सरकारी नीतियों पे काम करता है। लोगों को सपोर्ट देता है और कम्युनिटी की आवाज को बुलंद करता है। इसका खास फोकस इम्मीग्रेशन, रिप्रोडक्टिव जस्टिस और वोटिंग राइट्स जैसे मुद्दों पर है। साथ ही, ये संगठन डाइवर्सिटी, इक्विटी और इंक्लूजन (DEI) पहलों में आने वाले बदलावों पे भी नजर रखता है। ये कम्युनिटी की सुरक्षा और अमेरिकी समाज में उनके अच्छे से घुलने-मिलने के लिए बहुत जरूरी हैं।
ट्रम्प के आदेशों में सबसे अहम है जन्मसिद्ध नागरिकता (Birthright Citizenship) खत्म करना। इससे कई लीगली इमिग्रेटेड परिवारों में काफी नाराजगी है। SABA ने दलील दी कि इस आदेश से सिर्फ उन्हीं बच्चों को अमेरिकी नागरिकता मिलेगी जो अमेरिका में पैदा हुए हों और जिनके माता-पिता में से कम से कम एक अमेरिकी नागरिक या परमानेंट रेसिडेंट हो।
SABA ने कहा, 'इससे गैर-कानूनी रूप से रह रहे माता-पिता के बच्चे और नॉन-इमिग्रेंट स्टेटस (जैसे H-1B, L-1, TN वगैरह) वाले माता-पिता के बच्चे बाहर हो जाएंगे। इससे अमेरिकी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को काम पर रखने में मुश्किल होगी।' उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, 'मान लीजिये पति H-1B वीजा पर आया है और पत्नी H-4 स्टेटस पे है। इस दौरान उनका बच्चा होता है, तो उस बच्चे को अब ऑटोमेटिकली अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी।'
SABA ने आगे बताया कि बच्चे को जन्म के समय किस देश की नागरिकता मिलेगी, ये साफ नहीं है। इससे अस्थायी वीजा पर रह रहे परिवारों पर बुरा असर पड़ेगा और विदेशी प्रतिभाएं अमेरिका आने से हिचकिचाएंगी। SABA ने ये भी बताया कि इस आदेश के खिलाफ कई मुकदमे पहले ही दाखिल हो चुके हैं। वाशिंगटन के वेस्टर्न डिस्ट्रिक्ट की यू.एस. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के एक फेडरल जज ने कानूनी कार्यवाही चलने तक इसके लागू होने पर अस्थायी रोक लगा दी है।
SABA का कहना है कि ट्रम्प प्रशासन ने बाइडेन-युग की कई इमिग्रेशन पॉलिसियों को भी खत्म कर दिया है, जिसमें फैमिली रीयूनिफिकेशन प्रोग्राम्स और कुछ खास ग्रुप्स के लिए ह्यूमैनिटेरियन पैरोल भी शामिल हैं। ट्रम्प ने डिपोर्टेशन भी बढ़ा दिए हैं, डिटेंशन सेंटर्स की संख्या बढ़ा दी है और गैर-कानूनी रूप से रह रहे लोगों पर जुर्माना लगाया है। जो देश अपने नागरिकों को वापस लेने से इनकार करेंगे, उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
SABA ने कहा, 'गैर-कानूनी रूप से रह रहे विदेशियों का रजिस्ट्रेशन करवाने और जो लोग ऐसा नहीं करेंगे उन पर जुर्माना लगाने का भी दबाव है। इसके अलावा, इन आदेशों से उन देशों को सजा देने की कोशिश की जा रही है जो अपने नागरिकों को वापस नहीं लेते।'
SABA ने 2022 में प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन का हवाला दिया, जिसमें पाया गया कि अमेरिका में 7 लाख से अधिक भारतीय ऐसे हैं जो गैर-कानूनी रूप से रह रहे हैं, जो उन्हें अमेरिका में तीसरा सबसे बड़ा ग्रुप बनाता है। SABA ने बताया कि भारत ने 18,000 भारतीय नागरिकों को वापस लेने की पहचान की है। हालांकि, SABA ने आगे कहा कि कम्युनिटी को आने वाले समय को लेकर डर है।
संस्था ने कहा, 'राजनीतिक मतभेद चाहे जो भी हों, हमारे मेंबर्स का एक ही मकसद है कि अपनी कम्युनिटी को मजबूत करना। हम मौजूदा सरकार के साथ मिलकर काम करते रहेंगे ताकि परिवारों की रक्षा हो, आर्थिक मौके बढ़ें और उस विविधता का जश्न मनाया जाए जो हमारे देश को मजबूत बनाती है।'
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