लगभग 300 यात्रियों की वह कहानी जिनका गंतव्य कथित तौर पर मानागुआ, निकारागुआ था बिना किसी डरावनी गाथा के एक सुखद अंत पर समाप्त हुई। विमान ने दुबई से उड़ान भरी थी मगर मानव तस्करी में शामिल होने की एक गुमनाम कॉल के कारण वैट्री में तकनीकी रुकावट के बाद फ्रांसीसी अधिकारियों ने इसे आगे बढ़ने से रोक दिया था। अधिकारियों को जल्द ही पता चल गया ऐसा कुछ भी नहीं था। अलबत्ता, वैध दस्तावेजों के साथ एक शख्स पूरी तरह से कानूनी मार्ग का उपयोग करते हुए अवैध रूप से तीसरे देश में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था। जांच अभी शुरू ही हुई है लेकिन शुरुआती विवरण रोंगटे खड़े कर देने वाले निकल रहे हैं। कहा जाता है कि अवसरों की भूमि (जैसे अमेरिका) में सुरक्षित मार्ग के वादे के साथ अमेरिका जाने वाले कुछ लोगों ने बेईमान एजेंटों को 80,000 अमेरिकी डॉलर से लेकर 100,000 अमेरिकी डॉलर तक का भुगतान किया था। यानी मामला अवैध घुसपैठ का है। इस बात की संभावना कतई नहीं दिखती कि जल्द ही अवैध साबित हो जाने वाले इन लोगों को अमेरिकी अप्रवासन कानूनों पर परिचयात्मक पाठ पढ़ाया गया होगा। यानी कि प्रोसेसिंग एक दुःस्वप्न है जिसमें क्वार्टर जैसे जेल में बिताए जाने वाले प्रतीक्षा समय के साथ नाबालिगों और शिशुओं को मदद मिलने की बहुत कम संभावना होती है ताकि उनके माता-पिता को बाद की तारीख में स्पॉन्सर किया जा सके। और सबसे बड़ी बात यह कि प्रवेश के कारण के रूप में राजनीतिक उत्पीड़न की दलील का उस न्यायाधीश के सामने कोई मौका नहीं है जो कड़े कानूनों के रक्षक हैं। और यदि प्रविष्टि अस्वीकार कर दी गई तो क्या होगा? वगैरह। अब यह पता चला है कि पूरे भारत में लगभग 3000 ऐसी गैर-पंजीकृत एजेंसियां हैं जो भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बना रही हैं। अवसरों की धरती पर कदम रखने के लिए वे भोले लोग उधार लेने, बेचने या जो कुछ भी उनके पास है उसे गिरवी रखने को भी तैयार रहते हैं। और ये अवैध एजेंट आपस में इतनी अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं कि वे तीसरे देशों के माध्यम से इन तथाकथित 'गधों की उड़ानों' की व्यवस्था करने में सक्षम हैं। विडंबना यह है कि इन असहाय लोगों के पास वैध यात्रा दस्तावेज होते हैं, वे वैध वीजा के साथ एक निर्दिष्ट देश में प्रवेश करते हैं और उस किसी तीसरे देश की ओर जा रहे होते हैं जहां उतरने पर पूर्व वीजा की आवश्यकता नहीं होती। मगर उसके बाद एक बिल्कुल अलग कहानी सामने आती है। भारत में विदेश मंत्रालय समय-समय पर सलाह जारी कर लोगों को सावधान रहने के लिए कहता है। लेकिन इस संगठित और अवैध प्रवासन से निपटना काफी मुश्किल है। इसी श्रेणी में वे एजेंसियां होंगी जो विदेशों में उच्च जोखिम वाले अवसरों के लिए पुरुषों और महिलाओं की भर्ती करने की कोशिश कर रही हैं और जिनके लिए स्थानीय लोग आगे आने को तैयार नहीं हैं। संघर्ष वाले क्षेत्रों में उन भाग्यवान सैनिकों को देखना असामान्य नहीं है जिनके बटुए गोली या ग्रेनेड लेने के लिए भरे हुए हैं। लेकिन यह उन लोगों के लिए चाय का एक अलग प्याला है जो अमेरिका, कनाडा या यूके की धरती पर कदमताल के लिए बेताब हैं। भले ही इस धांधली को को कुछ हलकों में 'अभी यात्रा करें, सुरक्षित आगमन पर भुगतान करें' के रूप में पहचान लिया गया है पर अब समय है कि इस पर चाबुक चलाया जाए। भारतीयों के लिए वैध यात्रा कागजात के साथ, विशेष रूप से काम के लिए, वैध तरीके से तीसरे देशों में जाना एक बात है मगर लेकिन ठगों के लिए खामियों का फायदा उठाना बिल्कुल अलग बात है।
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