भारतीय-अमेरिकी फिजिसिस्ट जैनेंद्र के. जैन को क्वांटम फिजिक्स में क्रांतिकारी योगदान के लिए साल 2025 के वुल्फ प्राइज से सम्मानित किया गया है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को नोबेल प्राइज का पूर्ववर्ती माना जाता है।
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जैनेंद्र जैन को कॉम्पोजिट फर्मियॉन्स की खोज के लिए सम्मानित किया गया है। इसने क्वांटम मैटर को समझने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है।
उनके शोध ने कंडेंस्ड मैटर फिजिक्स को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है। यह हाई परफॉर्मेंस इलेक्ट्रॉनिक्स और क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
जैनेंद्र जैन यह पुरस्कार फिजिसिस्ट मोरडिहाई हेइब्लम और जेम्स आइजनस्टीन के साथ साझा करेंगे। वुल्फ फाउंडेशन ने उनके काम को क्वांटम मैटर में जटिल व्यवहारों को उजागर करने और क्रांतिकारी गुणों वाले नए पदार्थों को विकसित करने में मार्गदर्शक बताया है।
जैनेंद्र जैन ने कहा कि मैं वुल्फ फाउंडेशन का आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने मुझे इस प्रतिष्ठित वैज्ञानिक समुदाय में शामिल किया। यह सम्मान मेरे छात्रों, सहयोगियों और उन शोधकर्ताओं का भी है जिन्होंने कॉम्पोजिट फर्मियॉन्स को कल्पना से हकीकत बनाने में सहयोग किया।
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रेसिडेंट नीली बेंदापुडी ने कहा कि वुल्फ प्राइज साइंस की दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान है। जैनेंद्र जैन को यह सम्मान मिलना पेन स्टेट के लिए गर्व का पल है। उनके 30 वर्षों के शोध ने क्वांटम मैटर की समझ को गहरा बनाया है और वास्तविक दुनिया में कई तकनीकी क्रांतियों का रास्ता खोला है।
1988 में येल यूनिवर्सिटी में पोस्ट डॉक्टरल स्कॉलर रहते हुए जैन ने कॉम्पोजिट फर्मियॉन्स का सिद्धांत विकसित किया था। तब से उनके शोध ने अल्ट्रा-लो रेजिस्टेंस मटेरियल्स और क्वांटम कंप्यूटिंग में नए आविष्कारों को प्रेरित किया है।
वुल्फ प्राइज की शुरुआत जर्मन मूल के वैज्ञानिक और पूर्व क्यूबाई राजदूत रिकार्डो वुल्फ ने की थी। यह पुरस्कार फिजिक्स, मैथ, केमिस्ट्री, मेडिकल, कृषि और कला के क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को प्रदान किया जाता है। इसके तहत एक लाख डॉलर का इनाम दिया जाता है।
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