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लेखिका झुम्पा लाहिड़ी ने ठुकराया न्यूयॉर्क के म्यूजियम का प्रतिष्ठित पुरस्कार, फिलिस्तीन से जुड़ी है वजह

झुम्पा का यह फैसला म्यूजियम द्वारा फिलिस्तीन से एकजुटता दिखाने के लिए केफियेह (स्कार्फ) पहनने वाली तीन कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के बाद आया है। 

झुम्पा लाहिड़ी को 'इंटरप्रेटर ऑफ मैलेडीज' किताब के लिए 2000 में पुलित्जर पुरस्कार मिला था। / Reuters/Olivia Harris

भारतीय मूल की पुलित्जर पुरस्कार विजेता लेखिका झुम्पा लाहिड़ी ने न्यूयॉर्क शहर के नोगुची म्यूजियम से पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है। झुम्पा का यह फैसला म्यूजियम द्वारा फिलिस्तीन से एकजुटता दिखाने के लिए केफियेह (सिर का स्कार्फ) पहनने वाली तीन कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के बाद आया है। 

संग्रहालय ने एक बयान में बताया है कि झुम्पा लाहिड़ी ने हमारी बदली हुई ड्रेस कोड पॉलिसी के बाद 2024 का इसामू नोगुची पुरस्कार लेने के लिए अपनी स्वीकृति वापस लेने का फैसला किया है। हम उनके नजरिए का सम्मान करते हैं और समझते हैं कि यह नीति सभी के विचारों के अनुरूप हो भी सकती है और नहीं भी। 

पिछले महीने जापानी अमेरिकी मूर्तिकार इसामू नोगुची द्वारा स्थापित आर्ट म्यूजियम ने भी कर्मचारियों के लिए राजनीतिक संदेश, नारे या प्रतीक व्यक्त करने वाली किसी भी चीज़ को पहनने से रोकने की नीति का ऐलान किया था। इसकी मुखालफत करने पर तीन कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था। 

इजरायल-गाजा युद्ध पर अपने रुख के कारण अमेरिका के कई लोगअपनी नौकरी खो चुके हैं। न्यूयॉर्क सिटी के एक अस्पताल ने मई में एक फिलिस्तीनी अमेरिकी नर्स को निकाल दिया था क्योंकि उसने एक सम्मान समारोह के दौरान गाजा में इजरायली कार्रवाई को 'नरसंहार' कह दिया था। 

दुनिया भर में गाजा में इजरायली युद्ध के खिलाफ प्रदर्शनकारी काला-सफेद केफ़ियेह स्कार्फ पहनकर एकजुटता दिखा रहे हैं। केफियेह को फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय का प्रतीक है। रंगभेद विरोधी दक्षिण अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला को भी कई मौकों पर इसे पहने देखा गया।

वहीं इजरायल समर्थकों का कहना है कि यह केफियेह चरमपंथ के समर्थन का संकेत है। नवंबर में वरमोंट में फिलिस्तीनी मूल के तीन छात्रों को गोली मार दी गई थी। इनमें से दो ने केफियेह पहन रखा था।

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