अमेरिकी नागरिकों के गैर दस्तावेजी प्रवासी पति या पत्नी के लीगल स्टेटस हासिल करने की उम्मीदों को फेडरल कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। अदालत ने निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन की कीपिंग फैमिलीज टुगेदर नीति को खारिज कर दिया है, जिससे इस तरह के करीब पांच लाख प्रवासियों के अमेरिकी नागरिक बनने की उम्मीद थी।
टेक्सास के पूर्वी जिले के जज जे कैंपबेल बार्कर का यह फैसला डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव जीतने के बाद आया है। ट्रम्प अवैध इमिग्रेशन पर नकेल कसने और बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन शुरू करने का वादा करके सत्ता में आए हैं।
जस्टिस कैंपबेल बार्कर, जिन्हें ट्रम्प ने अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में नामित किया था, ने फैसला सुनाया कि संघीय एजेंसियों के पास कीपिंग फैमिलीज टुगेदर प्रोग्राम लागू करने के लिए पर्याप्त वैधानिक अधिकार नहीं हैं।
बाइडेन ने जून में राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी के दौरान प्रवासी परिवारों को एक साथ रखने के उद्देश्य से इस योजना की घोषणा की थी। हालांकि कुछ समय बाद ही वह चुनावी रेस से बाहर हो गए थे।
इस योजना से ऐसे प्रवासियों को फायदा होना था, जो कम से कम 10 वर्षों से अमेरिका में रह रहे हैं और उन्होंने 17 जून 2024 से पहले किसी अमेरिकी नागरिक से शादी की थी। इस योजना के दायरे में अमेरिकी नागरिकों के लगभग 50,000 सौतेले बच्चे भी आ रहे थे।
चुनाव प्रचार के दौरान ट्रम्प ने इस योजना को लेकर बाइडेन और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस पर निशाना साधा था। टेक्सास समेत रिपब्लिकन पार्टी के नेतृत्व वाले राज्यों के गठबंधन ने इस योजना का यह कहकर विरोध किया था कि इससे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कानून प्रवर्तन जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर लाखों डॉलर का खर्च बढ़ जाएगा।
कीपिंग फैमिलीज टुगेदर नीति में अमेरिकी नागरिकों से शादी करने वाले कुछ अनिर्दिष्ट आप्रवासियों को देश छोड़े बिना स्थायी निवास के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई थी। हालांकि इसके विरोध में याचिका दायर होने पर जस्टिस बार्कर ने अगस्त में ही इस पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी।
माना जा रहा है कि बाइडेन प्रशासन के अधिकारी जस्टिस बार्कर के इस फैसले की अपील दायर कर सकते हैं लेकिन इसमें शक है क्योंकि माना जा रहा है कि आगामी ट्रम्प प्रशासन इसका विरोध करेगा।
अप्रवासियों का समर्थन करने वाले गैर सरकारी संगठन मेक द रोड न्यूयॉर्क के सह-कानूनी निदेशक हेरोल्ड ए. सोलिस का कहना है कि यह फैसला उन परिवारों के लिए बेहद निराशाजनक और झटका है जो हर दिन अनिश्चितता के बोझ तले जिंदगी बिता रहे हैं।
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