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उपराष्ट्रपति के तौर पर आखिरी विदेश यात्रा से पहले हैरिस ने विदेशी नेताओं से की बात

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की 13 से 17 जनवरी तक की विदेश यात्रा का मकसद बाइडेन-हैरिस प्रशासन की उपलब्धियों को दिखाना, अमेरिकी साझेदारियों को मजबूत करना और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को रेखांकित करना है।

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की फाइल फोटो। / Reuters

उपराष्ट्रपति के तौर पर कमला हैरिस 13 से 17 जनवरी तक अपनी आखिरी विदेश यात्रा पर जाएंगी। ये दौरा सिंगापुर, बहरीन और जर्मनी में होगा। यात्रा से पहले, 8 जनवरी को हैरिस ने दुनिया के कई नेताओं से फोन पर बात की। उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से बात की और अमेरिका-फ्रांस गठबंधन, नाटो के लिए समर्थन और यूक्रेन में चल रहे संकट समेत वैश्विक चुनौतियों पर सहयोग की बात दोहराई। 

हैरिस ने केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो से भी बात की और डिजिटल समावेश, जलवायु कार्रवाई और सुरक्षा सहयोग, खासकर हैती में बहुराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता मिशन में केन्या के नेतृत्व पर लगातार सहयोग पर जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति बर्नार्डो अरेवलो से बात की और मध्य अमेरिका में आर्थिक निवेश के जरिए अनियमित प्रवासन को कम करने के लिए बाइडेन प्रशासन की रूट कॉजेज रणनीति के तहत हुई प्रगति पर चर्चा की।

उनके संपर्क कैरेबियाई नेताओं तक भी रहे, जिसमें जमैका के प्रधानमंत्री एंड्रयू होल्नेस और बारबाडियन प्रधानमंत्री मिया मोटली के साथ बातचीत शामिल है। हैरिस ने अमेरिका-कैरेबियाई साझेदारी की ताकत को रेखांकित किया और जलवायु अनुकूलन, खाद्य सुरक्षा और रिन्यूअल एनर्जी पहलों के लिए सहयोग पर जोर दिया। 

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की 13 से 17 जनवरी तक की विदेश यात्रा का मकसद बाइडेन-हैरिस प्रशासन की उपलब्धियों को दिखाना, अमेरिकी साझेदारियों को मजबूत करना और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को रेखांकित करना है।

अपनी यात्रा के दौरान, हैरिस 15 जनवरी को सिंगापुर के नेताओं से मुलाकात करेंगी और चांगी नेवल बेस जाएंगी। 16 जनवरी को वह मनामा, बहरीन जाएंगी। जहां वे स्थानीय नेताओं से बातचीत करेंगी। इसके अलावा नेवल सपोर्ट एक्टिविटी-बहरीन, अमेरिकी नौसेना बलों के केंद्रीय कमान और अमेरिकी 5वें बेड़े के मुख्यालय का दौरा करेंगी। उनका आखिरी पड़ाव 17 जनवरी को जर्मनी के स्पैंगडाहलेम एयर बेस पर होगा, जहां वे अमेरिकी वायु सेना के 52वें लड़ाकू विंग का दौरा करेंगी। 

पूरी यात्रा के दौरान हैरिस वैश्विक सुरक्षा और द्विपक्षीय सहयोग के प्रति अमेरिका की निरंतर प्रतिबद्धता पर जोर देंगी। वे इन ठिकानों पर तैनात अमेरिकी सैनिकों से भी मुलाकात करेंगी। डगलस एम्होफ भी हैरिस के साथ जाएंगे और नागरिक समाज के साथ अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। इनमें धार्मिक नेताओं और सैनिकों के परिवारों के साथ बैठकें शामिल हैं। 

कमला हैरिस का व्हाइट हाउस तक का सफर

अतीत की और लौटें तो 2021 में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की ग्वाटेमाला और मेक्सिको की पहली विदेश यात्रा का मकसद नॉर्दन ट्राएंगल से होने वाले इमिग्रेशन को कम करना था। लेकिन इस यात्रा पर उस वक्त सवाल उठ गए जब उन्होंने इस सवाल का जवाब टाल दिया कि वो अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर क्यों नहीं गईं। जब NBC के होल्ट ने ये सवाल किया, तो हैरिस ने अजीब तरह से जवाब दिया कि वो यूरोप भी नहीं गई थीं। इससे उन्हें रिपब्लिकन और मीडिया संस्थानों की आलोचना झेलनी पड़ी, जिन्होंने उन पर गंभीर चिंताओं को टालने का आरोप लगाया। 

हालांकि उन्होंने इमिग्रेशन के कारणों को दूर करने के लिए सहायता और नीतिगत उपायों की घोषणा की थी, लेकिन इस मुद्दे को लेकर उनके बचाव वाले रवैये ने उनकी राजनीतिक चतुराई पर सवाल उठाए। क्योंकि भविष्य की संभावित राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में उन पर कड़ी नजर थी। 

हैरिस की पृष्ठभूमि उनकी ऐतिहासिक भूमिका के लिए अहम है। 1964 में ओकलैंड, कैलिफोर्निया में जन्मीं हैरिस अमेरिका की पहली महिला, पहली अश्वेत और पहली दक्षिण एशियाई उपराष्ट्रपति हैं। उनकी मां, श्यामला गोपालन भारत के चेन्नई से आई एक भारतीय अप्रवासी और कैंसर शोधकर्ता थीं। मां के प्रभाव ने हैरिस के मूल्यों और लोक सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को आकार दिया।

यह अंतिम राजनयिक मिशन नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और होने वाले उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस के 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने से कुछ ही दिन पहले हो रहा है। 

 

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