अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प को बहुमत हासिल हो चुका है। भारतीय मूल की डेमोक्रेट नेता कमला हैरिस रेस में काफी पीछे हैं। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में हैरिस और ट्रम्प के बीच कड़ी टक्कर के आसार जताए जा रहे थे, लेकिन चुनाव नतीजों में ऐसा कुछ नहीं दिखा। आखिर वो कौन सी वजहें थी, जो हैरिस के पक्ष में नहीं रहीं, आइए एक नजर डालते हैं।
यूनियन का भरोसा नहीं जीत पाईं
अमेरिका में यूनियनों को काफी ताकतवर माना जाता है। हैरिस ने नौकरियां बचाने और कर्मचारियों की जिंदगी बेहतर बनाने का वादा करके उन्हें लुभाने की कोशिश की थी। लेकिन वर्किंग क्लास वोटर्स को उन पर पूरा भरोसा नहीं हुआ। इसकी प्रमुख वजह इकोनमी की मौजूदा हालत और महंगाई को माना जा रहा है।
वोटरों को संतुष्ट करने में नाकाम
कमला हैरिस पहली अश्वेत महिला थीं, जिन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा। इसे लेकर समुदाय में काफी उत्साह भी दिखा। फंडरेजिंग में भी उन्होंने रिकॉर्ड तोड़ दिया और तीन महीने के अंदर ही एक बिलियन डॉलर से अधिक इकट्ठा करके सबको हैरान कर दिया। लेकिन लगता है, हैरिस अमेरिकी वोटरों की मुख्य चिंता का समाधान पेश करने में नाकाम रहीं। महंगाई और इमिग्रेशन जैसे मुद्दों पर वोटरों ने हैरिस के बजाय ट्रम्प पर ज्यादा भरोसा करना उचित समझा।
फर्जी सूचनाओं की सूनामी
कमला हैरिस को इन चुनावों में बड़ी संख्या में गलत सूचनाओं की बाढ़ का सामना करना पड़ा। ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया था। ट्रम्प कैंप की तरफ से बड़ी संख्या में हैरिस और उनके कार्यकाल को लेकर गलत सूचनाएं फैलाई गईं। माइग्रेंट क्राइम से लेकर वोटर फ्रॉड जैसे मुद्दों पर काफी झूठ फैलाया गया। राइट विंग बेवसाइटों और मीडिया ने उसे हवा दी। कमला हैरिस और उनकी टीम इन फर्जी सूचनाओं की सूनामी को रोकने और उसका जवाब देने में नाकाम साबित हुई।
जनता को महंगाई मार गई
अमेरिका के राष्ट्रपति पद की रेस में लंबे समय के बाद कोई अश्वेत उम्मीदवार था। आखिरी बार 2008 और 2012 में बराक ओबामा अश्वेत राष्ट्रपति बने थे। हैरिस पहली महिला थीं, जो राष्ट्रपति बनने के इतने करीब पहुंची थीं। उनसे पहले 2016 में हिलेरी क्लिंटन ने यह मुकाम हासिल किया था। ऐसे में भारतीय मां और जमैकन पिता की बेटी हैरिस को लेकर समुदाय में काफी उम्मीदें थीं। इस सबके बावजूद महंगाई के बोझ तले दबी आम अमेरिकी जनता ने ट्रम्प की नीतियों पर भरोसा करना ज्यादा सही समझा। वे बाइडेन सरकार के कार्यकाल में तेजी से बढ़ी महंगाई के आगे झुक गए। देश ने आर्थिक तरक्की हासिल की, लेकिन आम लोगों को नहीं लगा कि उन्हें वाकई इसका फायदा हुआ है।
ट्रम्प पर जानलेवा हमला
चुनाव प्रचार के दौरान ट्रम्प के ऊपर दो बार जानलेवा हमले हुए। एक बार तो गोली उनकी कनपटी को छूते हुए निकल गई। इसने ट्रम्प के प्रति लोगों में सहानुभूति पैदा की। वहीं बुजुर्ग बाइडेन द्वारा हैरिस के लिए मैदान छोड़ने से कमला को फायदा हुआ, लेकिन बाकी मुद्दों ने इस बढ़त को वोटों में तब्दील होने से रोक दिया।
रनिंग मेट के चयन में गलती?
कुछ डेमोक्रेट रणनीतिकार मिनेसोटा के गवर्नर टिम वाल्ज को रनिंग मेट चुनने के हैरिस के फैसले को भी सही नहीं मानते। उनका मत है कि पेंसिलवेनिया के गवर्नर जोश शापिरो एक अच्छे दावेदार साबित हो सकते थे।
इनके अलावा भी नॉर्थ कैरोलिना में तूफान के समय पर्याप्त प्रबंध करने में बाइडेन सरकार की नाकामी, गर्भपात का मुद्दा जैसे कई कारणों को भी हैरिस के कमजोर प्रदर्शन की वजह माना जा रहा है।
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