आईआईटी कानपुर की प्रमुख पहल 'आईआईटी कारवां' हाल ही में शिकागो पहुंचा। इसका उद्देश्य अपने पूर्व छात्रों के वैश्विक नेटवर्क के साथ फिर से जुड़ना है। शिकागो से पहले कारवां न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन डीसी जैसे शहरों में सफल यात्राओं का आयोजन कर चुका है। 'विंडी सिटी' में आयोजित कार्यक्रम में शिकागो क्षेत्र के लगभग 80 आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र अपनी साझा विरासत का जश्न मनाने और अपने समर्थन तथा जुड़ाव को मजबूत करने के तरीकों का पता लगाने के लिए एक साथ आए।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण मुख्य अतिथि और शिकागो में भारत के महावाणिज्य दूत सोमनाथ घोष की गरिमामयी उपस्थिति रहा। घोष स्वयं आईआईटी कानपुर के छात्र रहे हैं। घोष ने अपने मुख्य भाषण में पूर्व छात्रों के समूह से आग्रह किया कि अपने मातृ संस्थान को केवल 'गिविंग बैक' के बजाय 'पेइंग बैक' की मानसिकता में आएं। इस समर्थन को उन्होंने दान के रूप में नहीं बल्कि एक दायित्व के रूप में परिभाषित किया। संस्थान के प्रति ऐसा दायित्व जिसने उनकी पेशेवर और व्यक्तिगत सफलता की नींव रखी। श्री घोष ने आईआईटी कानपुर से अमेरिकी विश्वविद्यालयों के साथ अधिक सहयोग करने के तरीकों पर विचार करने का भी आग्रह किया।
आईआईटी कारवां यूएसए दौरे में आईआईटी कानपुर के कुछ सबसे प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों की भी भागीदारी देखी है। इनमें आईबीएम रिसर्च के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. रुचिर पुरी, यम (चाइना) के पूर्व सीईओ मुक्तेश पंत और आईबीएम के सीईओ अरविंद कृष्णा सहित कई अन्य लोग शामिल थे।
शिकागो कारवां में आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ नेतृत्व ने भी उत्साह के साथ भागीदारी की। इनमें प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल, निदेशक; प्रो.ब्रज भूषण, उप निदेशक और प्रो. अमेय करकरे, डीन ऑफ रिसोर्सेज एंड एलुमनी ने संस्थान की हालिया उपलब्धियों और आगामी पहलों पर अपडेट साझा किए। उनकी उपस्थिति ने पूर्व छात्रों की भागीदारी के महत्व और आईआईटी कानपुर के मिशन को आगे बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि हमारे पूर्व छात्र हमारे संस्थान की रीढ़ हैं और दुनिया भर में उनकी उपलब्धियां हमें गर्व से भर देती हैं। आईआईटी कानपुर शिकागो चैप्टर के प्रमुख नितिन माहेश्वरी ने भी बड़ी संख्या में पहुंचे पूर्व छात्रों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आईआईटी कारवां ने हमें अपने पूर्व छात्रों के बीच संबंधों को फिर से जीवंत करने और गहरे जुड़ाव को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान किया है। यह स्पष्ट है कि आईआईटी कानपुर समुदाय पहले की तरह ही मजबूत है।
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