कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया के ओकानागन घाटी में केलोना शहर बसा हुआ है। साल 2012 में, यहां की आबादी 1 लाख 22 हजार के आसपास थी। इनमें से 2 फीसदी सिख धर्म के अनुयायी थे। भले ही इनकी संख्या कम थी, लेकिन पंजाब के लोग अपने त्योहारों को पूरे जोश के साथ मनाते थे। इस वर्ष परेड 26 अप्रैल को आयोजित की जाएगी।
गुरुद्वारे के लंबे समय तक प्रधान रहे परमजीत सिंह पटारा ने सोचा कि क्यों न वैसाखी के मौके पर नगर कीर्तन निकालकर इस त्योहार को बड़े स्तर पर मनाया जाए। पटारा को लगा कि समुदाय बढ़ रहा है और इस त्योहार को मनाना जरूरी है ताकि अगली पीढ़ी अपनी संस्कृति के बारे में जाने।
पटारा कहते हैं, 'मैंने इस परेड की शुरुआत केलोना के सिख समुदाय को गर्व का एहसास दिलाने के लिए की। ये सभी को एक साथ लाता है। मेरे लिए, ये बहुत जरूरी है कि हमारा समुदाय स्वस्थ हो और अपनी संस्कृति, इतिहास और विरासत पर गर्व करे।'
नगर कीर्तन एक सिख जुलूस है जिसकी अगुआई पंज प्यारे (पहले पांच सिखों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें दीक्षा दी गई थी) और श्री गुरु ग्रंथ साहिब करते हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब को एक खूबसूरती से सजाए गए फ्लोट पर रखा जाता है। समुदाय के लोग इस जुलूस का अनुसरण करते हुए भजन और छंद गाते हैं। साथ ही सिख युद्ध कला गटका के प्रदर्शन, वैंकूवर से सिख मोटरसाइकिल क्लब, विभिन्न सजे हुए फ्लोट और खुली कारों में बैठे विशिष्ट अतिथि जनता का अभिवादन करते हैं। जुलूस के मार्ग पर पंजाबी मूल के घरों के लोग जुलूस में शामिल लोगों को नाश्ता और चाय परोसते हैं। जुलूस में शामिल सभी लोगों को गुरुद्वारे में लंगर परोसा जाता है।
इस दौरान एक छोटा मेला भी लगता है, जहां जुलूस में शामिल लोगों को ताजे पकौड़े, चाय और मिठाई का लुत्फ उठाने का मौका मिलता है। वर्षों से वैशाखी जुलूस की लोकप्रियता बढ़ी है। आज, विभिन्न पृष्ठभूमियों से लगभग दस हजार लोग इसमें शामिल होते हैं, जो केलोना के रटलैंड समुदाय से होकर गुजरती है। पटारा कहते हैं, 'मैं इस बात के लिए बहुत आभारी हूं कि मैं कनाडा में रहता हूं, जहां लोगों की सभी अलग-अलग पृष्ठभूमियां होती हैं और वे वैशाखी का जश्न मिलकर मनाते हैं।'
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