भारतीय अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने द्विसदनीय विधेयक 'वेलकम बैक टू द हेल्थ केयर वर्कफोर्स एक्ट' का प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा उद्योग के सामने मौजूद गंभीर कमी से निपटना है। शिक्षित पेशेवरों का इस्तेमाल करना है। उन्हें स्वास्थ्य सेवा के लिए उपयोगी बनाना है।
कृष्णमूर्ति का कहना है कि अमेरिका में रहने वाले दो मिलियन कॉलेज शिक्षित आप्रवासियों में से लगभग 14 प्रतिशत के पास स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित क्षेत्रों में डिग्री है। लेकिन दिक्कत ये है कि इनमें से कई कुशल पेशेवर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में काम नहीं कर रहे हैं। यह देश में योग्य स्वास्थ्य पेशेवरों और श्रमिकों की महत्वपूर्ण कमी को बढ़ाता है, जैसा कि माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा उजागर किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षित पेशेवरों का उपयोग नहीं करने से अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा वर्कफोर्स के सामने बाधाएं खड़ी हो रही हैं। इसके अलावा ये स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी को बढ़ा रही हैं और अमेरिका की हेल्थ सर्विस सिस्टम पर अधिक दबाव डाल रही हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि इस अंतर के परिणामस्वरूप सालाना टैक्स में करीब 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो रहा है।
ऐसे में वेलकम बैक टू द हेल्थ केयर वर्कफोर्स एक्ट एक अनुदान कार्यक्रम की स्थापना का प्रस्ताव करता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य संगठनों, समुदाय-आधारित समूहों, शैक्षणिक संस्थानों और स्थानीय सरकारों के बीच साझेदारी की सुविधा बढ़ाना है जिससे वर्कफोर्स में शामिल होने में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षित स्वास्थ्य पेशेवरों की सहायता की जा सके। उनकी योग्यता का लाभ लिया जा सके।
कांग्रेस सदस्य कृष्णमूर्ति ने कहा कि हर दिन मैं अपने मतदाताओं से स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल की कमी के कारण हेल्थ से जुड़ी कठिनाइयों के बारे में सुनता हूं। उन्होंने कहा कि मुझे यह एक्ट पेश करने पर गर्व है। इसका मकसद ये है कि इससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र को सामुदायिक भागीदारी का समर्थन करने, विदेशों में प्रशिक्षित योग्य स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों के लिए लाइसेंसिंग और क्रेडेंशियल को व्यवस्थित करने और क्लिनिकल इंस्ट्रक्टर की कमी को दूर करने में मदद मिल सके।
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