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लाहौर करेगा दूसरे अंतरराष्ट्रीय पंजाबी सम्मेलन की मेजबानी, यह है उद्देश्य

उम्मीद है कि पंजाब (पाकिस्तान) की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ सम्मेलन का उद्घाटन करेंगी। अगर ऐसा होता है तो मरियम पंजाबी का समर्थन करने वाली पाकिस्तान की पहली महिला नेता बन जाएंगी।

कई पाकिस्तानियों को लगता है कि उनकी सांस्कृतिक विरासत के साथ उदासीनता बरती जा रही है। / Unsplash.com

पंजाबी का दूसरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन लाहौर में होने जा रहा है। पाकिस्तान में पंजाबी भाषा के अधिकारों के लिहाज से इस आयोजन को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। दुनिया भर के विद्वानों, कार्यकर्ताओं और पंजाबी अधिवक्ताओं के साथ सम्मेलन का उद्देश्य पूरे पाकिस्तानी पंजाब के स्कूलों में पंजाबी को एक अनिवार्य विषय बनाने की वकालत करके गुरुमुखी सीखने की आवश्यकता को रेखांकित करना है।

एक ऐतिहासिक कदम के तहत पंजाब (पाकिस्तान) की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ द्वारा सम्मेलन का उद्घाटन करने की उम्मीद है। उम्मीद है कि इसके बाद लाहौर में आधिकारिक भाषा के रूप में पंजाबी का समर्थन करने वाली पाकिस्तान की वह पहली महिला नेता बन जाएंगी। यह निर्णय लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप है। 

न्यायलय ने एक सख्त आदेश पारित किया था जिसमें सरकार को पंजाबी को मान्यता देने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने माना कि पंजाबी क्षेत्र की मातृभाषा होने के बावजूद इसे शिक्षा और शासन में उपेक्षित किया गया है। इससे कई पाकिस्तानियों को लगता है कि उनकी सांस्कृतिक विरासत के साथ उदासीनता बरती जा रही है।

सम्मेलन के अध्यक्ष और भाषा के समर्पित वकील अहमद रजा ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य सरकारी अधिकारियों को पंजाबी शिक्षा को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करना है। रजा ने कहा कि पाकिस्तान में पंजाबी बोलने वालों को लंबे समय से ऐसा महसूस हो रहा है जैसे उनकी भाषा के साथ सौतेले बच्चे जैसा व्यवहार किया जाता है। राजनेताओं को पंजाबी के सांस्कृतिक और शैक्षणिक महत्व के बारे में गुमराह किया गया है, लेकिन इस सम्मेलन का इरादा इस मामले को सही करने का है।

सम्मेलन में उपस्थित रहने वाले लोगों ने आशा व्यक्त की है कि यह सभा नीतिगत बदलावों को प्रेरित करेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि भाषा भावी पीढ़ियों के लिए समृद्ध हो। पंजाबी प्रेमियों और सांस्कृतिक नेताओं को उम्मीद है कि यह आयोजन पंजाब सरकार को आखिरकार स्कूलों में पंजाबी को एक अनिवार्य विषय बनाने में मदद करेगा। इससे पाकिस्तान के भाषाई परिदृश्य में एक सम्मानित हिस्से के रूप में पंजाबी का स्थान मजबूत होगा।
 

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