दक्षिण भारत के केरल राज्य में 30 जुलाई को चाय बागानों और गांवों में भारी बारिश के बाद भूस्खलन के कारण कम से कम 106 लोगों की मौत हो गई। रात को अचानक हुई भारी बारिश के कारण पहाड़ियां ढह गईं और कीचड़, पानी और गिरे हुए पत्थरों की बाढ़ आ गई।
भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में जाने जाने वाले राज्य केरल के वायनाड जिले में सोमवार आधी रात के बाद हुई मूसलाधार बारिश के कारण पहाड़ियां खिसक गईं। अधिकांश पीड़ित चाय बागान श्रमिक और उनके परिवार के लोग थे जो छोटे घरों या अस्थायी ठिकानों में रहते थे।
टेलीविजन फुटेज में बचावकर्मियों को उखड़े हुए पेड़ों और चपटी टिन संरचनाओं से जूझते हुए दिखाया गया है क्योंकि पहाड़ियों पर चट्टानें बिखरी हुई हैं और गंदा पानी बह रहा है। लोगों को बचाने के लिए बचावकर्मियों को स्ट्रेचर और अन्य उपकरण लेकर नदी के उस पार ले जाया जा रहा था।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि भूस्खलन में कम से कम 106 लोग मारे गए, 128 घायल हुए और दर्जनों लोग लापता हैं। एक स्थानीय टीवी ने मरने वालों की संख्या 119 बताई है। 30 जुलाई का भूस्खलन राज्य में 2018 के बाद से सबसे खराब आपदा है जब भारी बाढ़ ने लगभग 400 लोगों की जान ले ली थी।
आपदा को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री पी विजयन ने मीडिया को बताया कि अब भी कुछ लोग जमीन के नीचे दबे हुए हैं। कुछ बह गए हैं। बचाव अभियान जारी रहेगा। 3,000 से अधिक लोगों को क्षेत्र से बाहर ले जाया गया और जिले के 45 राहत शिविरों में रखा गया है। सेना के जवानों सहित सैकड़ों कर्मी ड्रोन और खोजी कुत्तों का उपयोग करके जीवित बचे लोगों की तलाश कर रहे हैं। भारी बारिश के कारण भूस्खलन से पहले कई लोगों को क्षेत्र से बाहर ले जाया गया था। इससे मरने वालों की संख्या कम रही।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने सभी एजेंसियों के साथ समन्वय सुनिश्चित करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री से बात की थी। गांधी ने X पर एक संदेश में कहा कि वायनाड में हुई तबाही दिल दहला देने वाली है। मैंने केंद्र सरकार से हर संभव सहायता देने का आग्रह किया है।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने हाल के आम चुनाव में वायनाड की सीट जीती थी लेकिन उत्तर भारत में अपने परिवार के गढ़ में भी चुने जाने के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। आपदा के बाद राहुल गांधी ने वायनाड आने की बात कही थी लेकिन खराब मौसम के कारण उन्हें अपनी यात्रा स्थगित करनी पड़ी।
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