निगरानी समूह अमेरिकन ओवरसाइट ने फेडरल कोर्ट में एक मुकदमा और अस्थायी रोक के लिए अर्जी दाखिल की है। अर्जी में राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय (ODNI) से काश पटेल से जुड़े रेकॉर्ड्स जारी करने की मांग की गई है। पटेल नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के FBI डायरेक्टर पद के संभावित उम्मीदवार हैं।
ये निगरानी समूह पटेल और कांग्रेस के वर्तमान और पूर्व सदस्यों के बीच हुए ईमेल, उनकी सरकारी यात्राओं के रेकॉर्ड्स और कुछ विवादित मुद्दों से जुड़ी जानकारी मांग रहा है। इन मुद्दों में ट्रम्प का ये बेबुनियाद दावा भी शामिल है कि ओबामा प्रशासन ने उनकी फोन टैपिंग की थी और 2019 में यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता को रोकने की जांच भी शामिल है।
अमेरिकन ओवरसाइट के वरिष्ठ वकील बेन स्पार्क्स ने कहा, 'सरकार हमारी FOIA अर्जी पर चार साल से बैठी हुई है। अब समय आ गया है कि वे ये रिकॉर्ड्स जनता को दें। पारदर्शिता, जवाबदेही और जनता के भरोसे के लिए इनको जल्दी जारी करना बहुत जरूरी है। अगर और देरी हुई तो सीनेट में पटेल की FBI प्रमुख के पद के नामांकन पर विचार करने से पहले, ODNI में उनके कामकाज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जनता को नहीं मिल पाएगी।'
इस समूह ने अगस्त 2020 में सूचना के अधिकार अधिनियम (FOIA) के तहत ये रेकॉर्ड्स मांगे थे। ट्रम्प द्वारा पटेल को नामांकित करने के इरादे की घोषणा के बाद, दिसंबर में इन्हें जल्दी से प्रोसेस करने की मांग की गई थी। इस मुकदमे में कोर्ट से सीनेट द्वारा पटेल के नामांकन का मूल्यांकन करने से पहले, 17 जनवरी तक ODNI को ये दस्तावेज जारी करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया है।
ट्रम्प के बेहद खास माने जाने वाले काश पटेल अपने पिछले कामों और बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। उन पर 2020 के चुनाव और तथाकथित 'डीप स्टेट' से जुड़ी साजिशों के सिद्धांतों को बढ़ावा देने का आरोप है। उन्होंने 'सरकारी गुंडों' का साफाया करने की कसम खाई थी। अमेरिकन ओवरसाइट के मुताबिक, पटेल ने सार्वजनिक रूप से सरकार और मीडिया में 'साजिशकर्ताओं' को ढूंढ़ने का इरादा जाहिर किया है। उन्होंने कहा था, 'हां, हम उन मीडिया वालों के पीछे पड़ेंगे जिन्होंने अमेरिकी नागरिकों के बारे में झूठ बोला, जिन्होंने बाइडेन को राष्ट्रपति चुनाव में जीत दिलाने में मदद की। हम आपके पीछे पड़ेंगे।'
अमेरिकन ओवरसाइट के मुताबिक, पटेल के FBI डायरेक्टर बनने से उन्हें संघीय कानून प्रवर्तन एजेंसी पर अधिकार मिल जाएगा। इससे ये चिंता बढ़ गई है कि वो इस पद का इस्तेमाल अपने आलोचकों और राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए कर सकते हैं।
2021 में, अमेरिकन ओवरसाइट ने ट्रम्प प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों से 6 जनवरी को कैपिटल पर हुए हमले से जुड़े रेकॉर्ड्स और कम्युनिकेशन के लिए मुकदमा किया था, जिसमें पटेल के कम्युनिकेशन भी शामिल थे। इस निगरानी समूह का दावा था कि जारी किए गए दस्तावेजों में हमले से कुछ दिन पहले पटेल के रक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ हुए ईमेल और भर्ती और मीडिया रणनीति से संबंधित ईमेल शामिल थे। एक मुकदमे में यह बात सामने आई कि पेंटागन ने वरिष्ठ अधिकारियों के टेक्स्ट मैसेज को सुरक्षित नहीं रखा था, जिसके बाद रेकॉर्ड रखने की नीति में बदलाव किया गया।
अमेरिकन ओवरसाइट की कार्यकारी निदेशक (अस्थायी) चियोमा चुक्वू ने कहा, 'पटेल का नामांकन इस बात का जबरदस्त सबूत है कि ट्रम्प योग्यता और कानून के शासन के प्रति प्रतिबद्धता से अधिक निजी वफादारी को महत्व देते हैं। जिस किसी अधिकारी ने 'दुश्मनों' की सूची प्रकाशित की है, उसे न्याय विभाग की मुख्य जांच शाखा का नेतृत्व करने का कोई अधिकार नहीं है। सीनेट द्वारा पटेल के नामांकन पर विचार करने से पहले, अमेरिकी जनता को पहले ट्रम्प प्रशासन के दौरान उनके कार्यों की पूरी जानकारी मिलनी चाहिए।'
हालांकि, अदालत ने अभी तक सुनवाई या बहस का कार्यक्रम तय नहीं किया है। सीनेटर एडम शिफ का कहना है कि पटेल को 'पुष्टि नहीं मिलनी चाहिए'। सीनेटर एडम शिफ (डी-कैलिफोर्निया) ने पटेल के नामांकन का विरोध करते हुए सीनेट से आग्रह किया है कि वह उन्हें अगले FBI निदेशक के रूप में अस्वीकार कर दें।
रविवार को NBC के 'मीट द प्रेस' कार्यक्रम में शिफ से होस्ट क्रिस्टन वेलकर ने पटेल के नामांकन के बारे में सवाल किया। शिफ ने कहा, सबसे पहले, काश पटेल को पुष्टि नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि न्यू ऑरलियन्स में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले ने FBI का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति के अनुभवी और योग्य होने के महत्व को उजागर किया है।
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