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लॉस एंजिल्स की भीषण आग से हर तरफ तबाही का मंजर, मदद में जुटा भारतवंशी समुदाय

मौसम और परिस्थितियों की तमाम चुनौतियों के बावजूद, भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य आपदा प्रभावित लोगों की मदद में जुटे हुए हैं।

लॉस एंजिल्स की भीषण आग ने भारी तबाही मचाई है। / photos: reuters/

लॉस एंजिल्स के इतिहास की सबसे भीषण पूरे इलाके में भारी कहर बरपाया है। हर तरफ तबाही का मंजर है। 10 हजार से अधिक इमारतें खाक हो चुकी हैं। लगभग 60 हजार इमारतें खतरे में हैं। डेढ़ लाख से अधिक लोगों को बेघर होना पड़ा है। अब तक 8 अरब डॉलर से अधिक का अनुमानित नुकसान हो चुका है। इस आपदा में कई भारतीय-अमेरिकी भी प्रभावित हुए हैं। 

एक टेलिकॉम कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर निखिल साहनी ने न्यू इंडिया अब्रॉड को बताया कि 8 जनवरी को वर्क फ्रॉम होम करते हुए मैंने शाम करीब 6 बजे अपनी खिड़की से नारंगी-लाल रंग का गोला देखा। जांच से पता चला कि रनयोन कैन्यन हॉलीवुड हिल्स पर आग लगी है, जो तेजी से फैल रही है। मैं घबराहट में अपना सामान समेटने लगा। 15-20 मिनट बाद ही लोगों को इलाका खाली करने का आदेश जारी कर दिया गया। 

निखिल ने आगे बताया कि कुछ ही मिनटों में दमकलों के सायरन बजने लगे। हेलीकॉप्टरों की आवाज़ आने लगी। अचानक ही माहौल भयानक हो गया। मैंने जल्दी-जल्दी अपना कीमती सामान पैक किया। तब तक आग की लपटें करीब आ चुकी थीं। मेरा गैराज से निकलना तक मुश्किल हो गया था। बाहर सभी सड़कें जाम हो चुकी थीं। केवल तीन ब्लॉक पार करने में मुझे 20 मिनट लग गए। शुक्र है, मैं अपने दोस्त के घर सुरक्षित पहुंच गया। मैं बहादुर दमकलकर्मियों का आभारी हूं जिन्होंने अपनी जान दांव पर लगाकर हमारी रक्षा की।

हजारों लोग अपना घर-बार छोड़कर जा चुके हैं। करीब 1.60 लाख निवासियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। डांग वर्ल्ड के सीईओ और सह-संस्थापक करण डांग ने बताया कि बाकी लोगों की तुलना में हम अविश्वसनीय रूप से भाग्यशाली रहे हैं लेकिन कल तक का समय काफी चुनौतीपूर्ण था। हमें एहतियातन अपना घर खाली करना पड़ा। बिना बिजली के रहना पड़ा। अन्य परिवारों की मुश्किलों के सामने यह कुछ भी नहीं है। 

उन्होंने कहा कि दमकल विभाग के कर्मचारी सच्चे नायक हैं, जो विकट परिस्थितियों में लोगों की जिंदगी और संपत्तियों की सुरक्षा के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। हम लोग राहत कार्यों में सहयोग कर रहे हैं और प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं। संकट के ऐसे ही समय में हमारे समुदाय की ताकत प्रत्यक्ष रूप में नजर आती है। 

ओवरड्राइव एनर्जी सॉल्यूशंस के संस्थापक नील वासवदा ने कहा मैं सैंटा मोनिका में रहता हूं और खुशकिस्मत हूं कि मुझे अपना घर खाली नहीं करना पड़ा। जिन लोगों का आग में नुकसान हुआ है, उन्हों गहरी भावनात्मक चोट लगी है। लोग खौफ में हैं। मेरा 14 साल का बेटा डरा हुआ है। यह सोच-सोचकर ही मन कांप जाता है कि ये आग शहरी इलाकों तक फैल सकती है। 

उन्होंने कहा कि इस आपदा के दौरान समुदाय के सदस्य ने दिल खोलकर मदद कर रहे हैं। मेरी कंपनी लाइव इवेंट के लिए अक्षय ऊर्जा जनरेटर उपलब्ध कराती है। हम इन जनरेटरों से जरूरतमंदों को बिजली देने पर काम कर रहे हैं। हमने आपदा राहत संगठनों से बात करके जनरेटर उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने कहा कि ये संकट बहुत ही विकराल है। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे घर के आसपास ऐसी हालत होगी। 

इस तबाही से समुदाय के कई सदस्य सदमे में हैं। मेडटेक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर ध्रुव कश्यप ने कहा कि इस अग्निकांड से हुए विनाश ने मुझे हिलाकर रख दिया है। मैं पांच साल पहले लॉस एंजिल्स आया था। पैसिफिक पैलीसेड्स और मालिबू की कई यादें अभी भी मेरे जेहन में हैं। मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि पूरा इलाका तबाह हो चुका है। मैं भले ही इस वक्त सेफ जोन में हूं, लेकिन मुझे कभी भी घर खाली करना पड़ सकता है क्योंकि आग पूरी तरह बुझी नहीं है। यह समय बेहद तनावपूर्ण और परेशान करने वाला है।

लॉस एंजिल्स की आग में प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए गुड कर्मा की वॉलंटियर्स भी जुटी हैं। / photo : Josh/Good Karma

मौसम और परिस्थितियों की तमाम चुनौतियों के बावजूद, भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य आपदा प्रभावित लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं। कई गैर-लाभकारी संगठन और रेस्तरां राहत प्रयासों में सबसे आगे हैं। गुड कर्मा लॉस एंजिल्स ऑर्गनाइजेशन ने विस्थापित लोगों को मुफ्त भोजन प्रदान करने के लिए डाउनटाउन कल्वर सिटी के लोकप्रिय भारतीय रेस्तरां अर्थ बार एंड किचन के साथ भागीदारी की है। 

द गुड कर्मा लॉस एंजिल्स के संस्थापक विशाल नारायण ने बताया कि पिछले दो दिनों से 15 स्वयंसेवकों की हमारी टीम सक्रिय रूप से इवेक्यूएशन सेंटरों में लोगों की मदद कर रही है। हम अब तक पानी की 800 बोतलें, 200 हाइड्रेशन पैकेट और 100 फूड पैकेट बांट चुके हैं। हम आगे भी इस तरह लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।  

 

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