यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची, 2024 के लिए भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर महाराष्ट्र जिले के मराठा सैन्य परिदृश्य (मराठा मिलिट्री लैंडस्केप ऑफ इंडिया) को नामांकित किया है। इस किले को 'सांस्कृतिक' श्रेणी के अंतर्गत नामांकित किया गया। बताया जाता है कि 17वीं और 19वीं शताब्दी के बीच विकसित इस सैन्य परिदृश्य को मराठा शासकों द्वारा निर्मित किलेबंदी और रणनीतिक सैन्य प्रणाली के रूप में तैयार किया गया था।
किले के बारे में...
महाराष्ट्र के 390 किलों में से केवल 12 को ही मराठा सैन्य परिदृश्य के अंतर्गत चुना गया है। इनमें से 8 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित हैं। मराठा सैन्य परिदृश्य किलों का एक नेटवर्क है जो सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला, कोंकण तट, दक्कन पठार और पूर्वी घाट के अद्वितीय परिदृश्य, इलाकों और भौगोलिक विशेषताओं का समग्र स्वरूप है। ये किले अपने पदानुक्रम, पैमानों और भौगोलिक विशेषताओं में भिन्न होते हैं जो भारतीय प्रायद्वीप में विभिन्न इलाकों में रणनीतिक रूप से स्थित एक व्यापक प्रणाली बनाते हैं।
किलों में शिवनेरी, लोहगढ़ और सुवर्णदुर्ग शामिल हैं जो रायगढ़ और जिंजी जैसे पहाड़ी किलों से लेकर तटीय विजयदुर्ग और द्वीप किलों तथा सुवर्णदुर्ग और सिंधुदुर्ग तक फैले हैं। यह परिदृश्य छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल का है और 1818 ई. में पेशवा शासन तक जारी रहा।
नामांकन का मानदंड
परिदृश्य का नामांकन सांस्कृतिक मानदंडों के अंतर्गत आता है। विशेष रूप से मानदंड (iii), (iv), और (vi) के तहत। नामांकन में अद्वितीय साक्ष्य, उत्कृष्ट उदाहरण और सांस्कृतिक परंपराओं, वास्तुकला तथा महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं के साथ ठोस जुड़ाव पर जोर दिया जाता है।
भारत के वर्तमान विरासत स्थल
यूनेस्को की सूची में वर्तमान में भारत के 42 धरोहर स्थल हैं। इनमें से छह महाराष्ट्र से हैं। इनमें हाल ही में नामांकित भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य भी शामिल हैं। धरोहरों में अजंता और एलोरा की गुफाएं, मुंबई की विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको एन्सेम्बल 'सांस्कृतिक' मानदंड के अंतर्गत हैं जबकि पश्चिमी घाट 'प्राकृतिक' पैमाने के तहत हैं।
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