भारत के साथ राजनयिक रिश्तों में तनातनी के बीच मालदीव ने 43 भारतीयों को देश से निकाल दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह जानकारी देते हुए दावा किया गया है कि इन भारतीयों के ऊपर आपराधिक घटनाओं में शामिल होने का आरोप है।
चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व में मालदीव ने भारत ही नहीं, 11 अन्य देशों के 186 नागरिकों को भी देश से बाहर कर दिया है। हालांकि इनमें चीन का कोई नागरिक शामिल नहीं है।
जिन नागरिकों को मालदीव से निर्वासित किया गया है, उनमें सबसे अधिक संख्या बांग्लादेश के लोगों की है। बांग्लादेश के 83 नागरिकों को मालदीव ने बाहर का रास्ता दिखाया है। उसके बाद भारत (43), श्रीलंका (25) और नेपाल (8) का नंबर है।
आव्रजन नियंत्रक शमां वहीद ने बताया कि 186 विदेशियों को अपराध करते हुए पाया गया था और उन्हें मालदीव से निर्वासित कर दिया गया है। हालांकि अभी यह जानकारी स्पष्ट नहीं है कि इन लोगों को कब निर्वासित किया गया।
राष्ट्रपति मुइज्जू के कमान संभालने के बाद से मालदीव का झुकाव चीन की तरफ बढ़ गया है। मुइज्जू चुनाव में इसी वादे पर जीतकर सत्ता में आए हैं कि वह भारत को अपनी विदेश नीति को प्रभावित नहीं करने देंगे।
राष्ट्रपति का पद संभालने के तुरंत बाद मुइज्जू ने भारत से मालदीव में तैनात अपने सैनिकों को वापस बुलाने की मांग उठानी शुरू कर दी थी। कई दौर की बातचीत के बाद भारत सरकार मालदीव में अपने सैनिकों की जगह नागरिकों को तैनात करने पर सहमत हो गई है।
राजनयिक रिश्तों में खटास उस समय और बढ़ गई थी, जब मालदीव के तीन उपमंत्रियों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद भारतीय पर्यटकों ने बड़ी तादाद में अपनी मालदीव यात्रा का कार्यक्रम रद्द करना शुरू कर दिया था।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login