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कमाल की कहानी, कमाल का निर्देशन: अरुण अशोक की फिल्म 'द थ्रो' ने ICCR में जीता अवॉर्ड

मेलबर्न के फिल्म निर्माता अरुण अशोक ने ICCR और Routes 2 Roots इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बड़ी कामयाबी हासिल की है। उनकी फिल्म 'द थ्रो (बियॉन्ड बॉर्डर्स)' ने इंडियन डायस्पोरा कैटेगरी में पहला पुरस्कार जीता है, जो उनकी रचनात्मकता और कहानी कहने की क्षमता को दर्शाता है।

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में भारत के महावाणिज्य दूत के साथ अरुण अशोक (बाएं)। / Instagram

मेलबर्न के फिल्ममेकर अरुण अशोक ने ICCR और Routes 2 Roots इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पहला पुरस्कार जीता है। उनकी शॉर्ट फिल्म, 'द थ्रो (बियॉन्ड बॉर्डर्स)' ने इंडियन डायस्पोरा कैटेगरी में ये अवॉर्ड अपने नाम किया है। ये अवॉर्ड 26 जनवरी को मेलबर्न में भारतीय दूतावास में एक खास समारोह के दौरान जनरल सुशील कुमार ने दिया। 

अपनी खुशी जाहिर करते हुए अशोक ने इंस्टाग्राम पर लिखा, 'मुझे भारत सरकार, ICCR, Routes2Roots की तरफ से यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलने पर बहुत सम्मान और गर्व महसूस हो रहा है। यह मेरे इंटरनेशनल फिल्ममेकिंग के काम और कोशिशों को पहचानता है। हैप्पी रिपब्लिक डे और ऑस्ट्रेलिया डे।'

ICCR और Routes 2 Roots इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दो कैटेगरीज - फॉरेन एलुम्नी और इंडियन डायस्पोरा में 35 देशों से एंट्रीज आई थीं। पहले, दूसरे और तीसरे पुरस्कार विजेताओं को क्रमशः $500, $300 और $200 की नकद राशि मिलेगी। ICCR के निर्देशानुसार, हर देश में भारतीय दूतावास ये पुरस्कार बांटेगा। इस पहल का मकसद भारतीय प्रवासियों को सपोर्ट करना और दुनियाभर में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है।

विजेताओं का चुनाव रचनात्मकता, सांस्कृतिक प्रासंगिकता और भावनात्मक प्रभाव के आधार पर किया गया। अशोक की फिल्म, द थ्रो (बियॉन्ड बॉर्डर्स) अपनी शक्तिशाली कहानी कहने के तरीके, कलात्मक अंदाज और गहरे भावनात्मक प्रभाव के कारण सबसे अलग रही। यह स्पोर्ट्स ड्रामा स्पोर्ट्समैनशिप, लगन और एकता जैसे विषयों को दिखाती है। यह बताती है कि कैसे इंसानी रिश्ते सीमाओं से परे जाते हैं। इसकी जबरदस्त सिनेमैटोग्राफी और बेहतरीन अभिनय ने इसे पुरस्कार के लिए योग्य बनाया।

अशोक एक क्रिएटिव विजनरी हैं। उनका थिएटर और परफॉर्मिंग आर्ट्स में अच्छा अनुभव है। कॉलेज के दिनों से ही वे एक्टिंग और डायरेक्शन से जुड़े हुए हैं। कहानी कहने के प्रति उनके जुनून ने उन्हें फिल्ममेकिंग की ओर मोड़ा। 2022-23 में द थ्रो (बियॉन्ड बॉर्डर्स) उनकी डायरेक्शन में पहली फिल्म बनी। इस फिल्म को पहले ही अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल चुकी है। इसने मिलान (2023) में 40वें स्पोर्ट्स एंड टीवी इंटरनेशनल फेस्टिवल में प्रतिष्ठित 'गिरलैंड डी'ऑनर' पुरस्कार जीता है। यह इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी से जुड़ा एक आयोजन है।

इस सफलता के बाद अशोक अब अपनी पहली भारतीय फिल्म का निर्देशन करने वाले हैं। थिएटर, फिल्ममेकिंग और क्रॉस-कल्चरल कहानी कहने के उनके अनुभव उन्हें भारतीय सिनेमा पर एक नया नजरिया देते हैं। इसके अलावा, उन्होंने इस साल के अंत में एक आने वाली मलयालम फिल्म से अभिनय की शुरुआत भी की है। 

 

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