मेटा (Meta) ने 14 फरवरी को ‘प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ’ की घोषणा की, जो एक अभूतपूर्व समुद्री केबल परियोजना है। यह केबल 50000 किलोमीटर से अधिक लंबी होगी, जिससे यह दुनिया की सबसे लंबी समुद्री केबल बन जाएगी। इस परियोजना में भारत एक प्रमुख केंद्र होगा और इसे अत्यधिक लाभ मिलेगा।
मेटा ने अपने बयान में कहा, "भारत में, जहां पहले से ही डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण वृद्धि और निवेश देखा गया है, वॉटरवर्थ इस प्रगति को और तेज करेगा और देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को समर्थन देगा।" इस परियोजना के तहत भारत में तेज़, उच्च-क्षमता वाली इंटरनेट कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
भारत ही नहीं इन देशों को भी फायदा
भारत के अलावा, यह केबल परियोजना अमेरिका, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य प्रमुख क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बढ़ाएगी। इससे वैश्विक आर्थिक सहयोग, डिजिटल समावेशन और तकनीकी विकास को मजबूती मिलेगी।
समुद्री केबल परियोजनाएं, जैसे कि ‘प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ’, वैश्विक डिजिटल संचार के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। वर्तमान में 95% से अधिक अंतरमहाद्वीपीय इंटरनेट ट्रैफ़िक इन्हीं केबलों के माध्यम से प्रवाहित होता है। इस परियोजना के तहत तीन नए महासागरीय कॉरिडोर खोले जाएंगे, जो वैश्विक डिजिटल हाइवे को विस्तार देंगे और एआई, डिजिटल संचार और ऑनलाइन सेवाओं में नवाचारों का समर्थन करेंगे।
तकनीकी रूप से सबसे उन्नत
मेटा ने 20 से अधिक सबसी केबल परियोजनाओं में भागीदारी की है और 24 फाइबर पेयर्स (Fiber Pairs) की नई तकनीक विकसित की है, जो पारंपरिक 8 से 16 पेयर्स की तुलना में कहीं अधिक क्षमता प्रदान करता है। ‘प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ’ इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इसमें गहरे समुद्र में केबल बिछाने और बेहतर सुरक्षा तकनीकों का उपयोग किया जाएगा ताकि पर्यावरणीय खतरों से बचाव किया जा सके और अधिक स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके।
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