मिसिसिपी स्टेट यूनिवर्सिटी (एमएसयू) के कृषि विज्ञान शोधकर्ता राजू भीमनहल्ली रंगप्पा को यूएसडीए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर की तरफ से 720,500 डॉलर का अनुदान प्रदान किया गया है। यह ग्रांट उन्हें जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ते चावल संकट को दूर करने के लिए दी गई है।
पौध एवं मृदा विज्ञान के असिस्टेंट रिसर्च प्रोफेसर रंगप्पा जलवायु परिवर्तन से अप्रभावित चावल की किस्में विकसित करने पर केंद्रित टीम का नेतृत्व करेंगे ताकि 3.5 अरब लोगों के लिए मुख्य अनाज की गुणवत्ता और पोषण सुनिश्चित किया जा सके।
रंगप्पा और मिसिसिपी एग्रीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री एक्सपेरिमेंट स्टेशन (एमएएफईएस) की टीम चावल की हीट मैजिक किस्म का प्रयोग करते हुए अलग अलग तापमान पर उन्हें परखेगी। अनुसंधान का उद्देश्य हर तापमान को सहने में सक्षम चावल का विकास करना है, साथ ही भविष्य के अलग अलग स्थानों पर परीक्षणों के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करना है ताकि जलवायु परिवर्तन की स्थिति में भी चावल का उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके।
रंगप्पा ने कहा कि हमारी टीम अलग अलग तापमान में पनपने वाली चावल की किस्मों की पहचान करने और फेनोटाइपिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है। मैजिक पॉपुलेशन विधि के तहत चावल की अलग अलग किस्मों का परागण करके, उनके आनुवंशिक लक्षणों का विश्लेषण करते हुए उनमें से अत्यधिक गर्मी सहने में सक्षम किस्म का विकास किया जाएगा।
अनुसंधान फिलीपींस में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) और अरकंसास में यूएसडीए-एआरएस डेल बंपर्स नेशनल राइस रिसर्च सेंटर के सहयोग से आयोजित किया जाएगा। यह परियोजना चार साल तक चलेगी। पहले दो साल फिलीपींस की गर्मी में परीक्षण किए जाएंगे। उसके बाद अर्कांसस और मिसिसिपी में नियंत्रित तापमान और पर्यावरण के अंदर प्रयोग होंगे।
एमएएफईएस के एसोसिएट डायरेक्टर डारिन डोड्स ने कहा यह अनुदान जलवायु परिवर्तन से अप्रभावित चावल की किस्मों के विकास में हमारे शोध को आगे बढ़ाएगा। यह चावल की मौजूदा किस्मों की सीमाओं को बढ़ाते हुए छात्रों को आउटरीच के अवसर भी प्रदान करता है।
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