भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय पर बड़ा आरोप लगाया है। भाजपा का आरोप है कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय और 'डीप स्टेट' तत्व, खोजी पत्रकारों के एक ग्रुप और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ मिलकर भारत को अस्थिर करने की कोशिश रहे हैं।
इस आरोप पर काफी हैरान जताई जा रही है क्योंकि पिछले दो दशकों में भारत और अमेरिका के संबंध काफी मजबूत हुए हैंं। दोनों ने कुछ मतभेदों और दिक्कतों के बावजूद आपसी संबंधों को और मजबूत करने का संकल्प लिया है।
सत्तारूढ़ बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी की पार्टी पीएम मोदी को कमजोर करने के लिए सिर्फ अडानी ग्रुप पर केंद्रित ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) के लेखों का इस्तेमाल कर रही है, जिनमें दोनों के अडानी ग्रुप और सरकार के बीच करीबी का आरोप लगाया गया है।
याद दिला दें कि अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी और सात अन्य पदाधिकारियों को पिछले महीने भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर के कथित रिश्वतखोरी मामले में अमेरिका में आरोप लगाया गया है, जिसका ग्रुप ने निराधार बताकर खंडन किया है।
ओसीसीआरपी के लेखों में आरोप लगाया गया है कि भारत में सरकार समर्थित हैकर्स सरकार की आलोचना करने वालों को निशाना बनाने के लिए इजरायल के पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग कर रहे हैं। भारत सरकार इन आरोपों से पहले ही इनकार कर चुकी है।
भाजपा इससे पहले भी राहुल गांधी, ओसीसीआरपी और 92 वर्षीय अरबपति फाइनेंसर व परोपकारी जॉर्ज सोरोस पर मोदी को टारगेट करने का आरोप लगाती रही है।
बीजेपी ने अब फ्रांसीसी मीडिया की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि ओसीसीआरपी को यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट और सोरोस जैसे डीप स्टेट एक्टर्स द्वारा फंडिंग की गई थी।
भाजपा ने एक्स पर एक के बाद एक मैसेज में कहा कि डीप स्टेट एक्टर्स का साफ मकसद है कि प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाकर भारत को अस्थिर किया जाए। इस एजेंडे के पीछे हमेशा से अमेरिकी विदेश विभाग रहा है... ओसीसीआरपी ने डीप स्टेट एजेंडे को पूरा करने के लिए एक मीडिया टूल के रूप में काम किया है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद संबित पात्रा ने पार्टी की आधिकारिक मीडिया ब्रीफिंग में भी इन आरोपों को दोहराया। उन्होंने कहा कि फ्रांस के खोजी मीडिया समूह ने खुलासा किया है कि ओसीसीआरपी की फंडिंग का 50% सीधे अमेरिकी विदेश विभाग से आता है। OCCRP एक गहन सरकारी एजेंडे को पूरा करने का मीडिया टूल बन गया है।
अमेरिकी विदेश विभाग, यूएस एड, सोरोस और कांग्रेस पार्टी ने इस मामले पर टिप्पणी के रॉयटर्स के अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी सत्तारूढ़ पार्टी के इन आरोपों पर टिप्पणी का जवाब नहीं दिया।
हालांकि ओसीसीआरपी ने एक बयान में कहा है कि वह एक स्वतंत्र मीडिया आउटलेट था और किसी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं था। अमेरिकी सरकार ओसीसीआरपी को कुछ धन जरूर देती है, लेकिन हमारे संपादकीय कार्यों और रिपोर्टिंग पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।
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