यंगसॉफ्ट और एच2एच सॉल्यूशंस के संस्थापक अध्यक्ष व सीईओ रूपेश श्रीवास्तव को गर्व है कि मुख्यधारा के अमेरिकी समाज खासकर राजनीति के क्षेत्र में भी भारतीय मूल के लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। इसकी चर्चा करते हुए उन्होंने भारतीय अमेरिकियो के सामने आने वाली चुनौतियों और दायित्वों पर भी बात की।
मिशिगन में रहने वाले भारतीय अमेरिकी उद्यमी रूपेश श्रीवास्तव ने न्यू इंडिया अब्रॉड से बातचीत में इस सांस्कृतिक बदलाव पर अपना नजरिया पेश करते कहा कि अब पहले से कहीं ज्यादा भारतीय मूल के लोग मुख्यधारा की अमेरिकी जीवनशैली अपना रहे हैं, जिसमें राजनीति भी शामिल है। यह अच्छा संकेत है।
मिशिगन में फेरिस स्टेट यूनिवर्सिटी में पहले भारतीय अमेरिकी ट्रस्टी के अपने अनुभव को अमेरिकी सार्वजनिक जीवन में भारतीय समुदाय की बढ़ती भागीदारी का प्रमाण बताते हुए उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर बहुत अच्छा लगता है।
श्रीवास्तव ने हालांकि भारतीय समुदाय की चुनौतियों को भी स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि कई भारतीय अमेरिकी अब भी उतने रच बस नहीं पाए हैं। जाहिर है कि स्वभाव से, संस्कृति से वे लोग भारत में अपनी जड़ों से बहुत अच्छे से जुड़े हुए हैं और लंबे समय तक ऐसे ही रहते हैं।
भारतीय अमेरिकियों की नई पीढ़ी को संदेश देते हुए रूपेश ने कहा कि अब जब आप यहां पर हैं तो आपको यहां के सामाजिक व राजनीतिक दायित्वों को भी निभाना होगा। यहां के विभिन्न पक्षकारों के साथ मिलकर चलना होगा। यह बहुत महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक मुद्दों की चर्चा करते हुए श्रीवास्तव ने आगामी चुनावों और मिशिगन की सियासी हवा का भी जिक्र किया। उन्होंने राज्य की उतार-चढ़ाव वाली राजनीति का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे ख्याल से ट्रम्प के लिए यहां लीड है... यह शायद युद्धों की वजह से है। संभवतः यही मिशिगन के लोगों के विचारों को प्रभावित कर रहा है।
अवैध इमिग्रेशन से जुड़े मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जहां तक ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी की बात है तो मुझे लगता है कि वे अवैध प्रवासियों के सीमा संबंधी मुद्दे को व्यापक आव्रजन सुधार से नहीं जोड़ना चाहते हैं। अवैध आव्रजन का मुद्दा इस वक्त काफी गर्म है, लेकिन उम्मीद है कि ट्रम्प अगर सत्ता में लौटते हैं तब भी कानूनी आव्रजन पर ज्यादा असर नहीं होगा।
रूपेश ने कारोबार खासकर प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षेत्रों में कोरोना महामारी की वजह से पैदा हुई चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि यह एक बड़ा मुद्दा रहा है। राष्ट्रपति बनने के बाद पहले दो साल तक बाइडेन को भी इससे जूझना पड़ा था। इसकी वजह से अच्छे लोगों को भर्ती करना वाकई कठिन कमा था।
उन्होंने कर्मचारियों को नौकरी पर रखने में वीजा प्रसंस्करण में देरी और वाणिज्य दूतावास बंद होने जैसी कई कठिनाइयों का जिक्र किया, जो बाइडेन प्रशासन में अब तक खत्म नहीं हुई हैं। उन्होंने ग्रीन कार्ड बैकलॉग बढ़ने पर भी चिंता जताई।
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