भारत के बहुत से लोगों को अच्छी नौकरी के नाम पर बहला फुसलाकर विदेश ले जाया जा रहा है और वहां उनसे जबरन साइबर क्राइम और धोखाधड़ी का काम कराया जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इस बारे में लोगों को आगाह करते हुए सरकार के प्रयासों की जानकारी दी है।
कंबोडिया, म्यांमार और लाओ पीडीआर सहित दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में ये गोरखधंधा बहुत तेजी से फैल रहा है। फर्जी नौकरी की पेशकश करके संदिग्ध भर्ती एजेंसियों भारतीय नागरिकों को लुभाती है और वहां ले जाकर मजबूर करके खतरनाक काम करवाती हैं
लोकसभा में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि विदेशों में फंसे भारतीयों की सही संख्या अज्ञातहै, लेकिन सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। भारतीय दूतावासों के प्रयासों से अब तक 2,358 भारतीय नागरिकों को बचाया गया है। इनमें से 1,091 कंबोडिया से, 770 लाओ पीडीआर से और 497 म्यांमार से हैं।
मंत्री ने बताया कि सरकार राजनयिक प्रयास करते हुए और बचाव कार्यों में स्थानीय अधिकारियों को शामिल करके विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण को प्राथमिकता दे रही है। भारतीय मिशनों को वॉक-इन, ईमेल, इमरजेंसी हेल्पलाइन और मदद तथा ई-माइग्रेट जैसे पोर्टलों के जरिए सूचना देकर मदद मांगी जा सकती है।
फर्जी नौकरी गिरोहों से लोगों को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर सलाह और जागरूकता अभियान शुरू किए गए हैं। ई-माइग्रेट पोर्टल पर 3,094 अपंजीकृत भर्ती एजेंटों की सूची प्रकाशित की गई है। इसे शिकायतों और मिशनों से मिलने वाले इनपुट के आधार पर नियमित अपडेट किया जाता है।
गृह मंत्रालय ने साइबर अपराध का मुकाबला करने के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की स्थापना भी की है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से एसएमएस अभियान, सोशल मीडिया अलर्ट, रेडियो प्रसारण और साइबर सुरक्षा सप्ताह के जरिए जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने जोर देकर कहा कि विदेश में नौकरी करने के इच्छुक लोगों को भर्ती एजेंटों और कंपनियों का अच्छी तरह सत्यापन करके ही आगे बढ़ना चाहिए ताकि फर्जी योजनाओं का शिकार होने से बचा जा सके।
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