ओमिमेक्स समूह के भारतीय-अमेरिकी संस्थापक और तेल एवं गैस उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति नरेश वशिष्ठ ने अपने परोपकारी योगदान और भारत से संयुक्त राज्य अमेरिका तक की अपनी यात्रा और आप्रवासियों के लिए अपनी सलाह साझा की है। वशिष्ठ ने हाल ही में टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय को एक बड़ा दान दिया है।
टेक्सास ए एंड एम कॉलेज ऑफ मेडिसिन को उनका 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का दान अब तक मिला सबसे बड़ा उपहार था जिसके परिणामस्वरूप संस्थान का नाम बदलकर नरेश के. वशिष्ठ कॉलेज ऑफ मेडिसिन कर दिया गया है।
न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक बातचीत में वशिष्ठ ने अपने दान का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि मैंने उन्हें जो उपहार दिया है वह चार चीजों के लिए है: पूर्ण ट्यूशन छात्रवृत्ति, एक डीन का फंड, अनुसंधान और ग्रामीण डॉक्टरों की भर्ती।
डीन फंड का उपयोग रणनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। जैसे कि जरूरतमंद छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना। जबकि अनुसंधान फंडिंग अंतरिक्ष और अन्य नवीन क्षेत्रों पर विश्वविद्यालय के मजबूत फोकस का समर्थन करेगी। ग्रामीण स्वास्थ्य पहल का उद्देश्य वंचित समुदायों के छात्रों को भर्ती करना है उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वापस लौटने और अपने स्थानीय क्षेत्रों में सेवा करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
वशिष्ठ का टेक्सास ए एंड एम से जुड़ाव 1971 से है जब वह पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए कॉलेज स्टेशन पहुंचे थे। अपनी पसंद पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने टेक्सास ए एंड एम को चुना क्योंकि यह उस समय पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के लिए नंबर एक रैंक वाला स्कूल था और अब भी है।
पंजाब के फगवाड़ा से अमेरिका तक की अपनी यात्रा को याद करते हुए वशिष्ठ ने साझा किया कि मैं एक छात्र के रूप में नहीं आया था। मैं एक आप्रवासी के रूप में आया था। वशिष्ठ ने बताया कि कैसे उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स से स्नातक होने के बाद पहली बार शेल के साथ ओमान में काम किया था ( अब आईआईटी धनबाद)। अमेरिका में अपनी शिक्षा जारी रखने से पहले।
बाद में वशिष्ठ ने तेल और गैस उद्योग में एक सफल करियर बनाया और ओमिमेक्स रिसोर्सेज की स्थापना की जो अमेरिका, कनाडा और कोलंबिया में तेल और गैस संपत्तियों की खोज, विकास, अधिग्रहण और संचालन में लगी कंपनियों का एक ऊर्जा और उर्वरक समूह है।
ईंधन का भविष्य
एक उद्योग विशेषज्ञ के रूप में वशिष्ठ ने कोयले की गिरावट और तेल के भविष्य के बीच समानताएं दर्शाते हुए जलवायु परिवर्तन के आलोक में तेल और गैस उद्योग की उभरती भूमिका पर अपना दृष्टिकोण साझा किया।
उन्होंने कहा कि तेल और गैस भी कोयले की तरह ही रास्ता अपनाने जा रहे हैं। हाइड्रोजन, पवन और सौर जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत जोर पकड़ रहे हैं। उन्होंने आईआईटी धनबाद में हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना करके इस क्षेत्र में अनुसंधान में भी योगदान दिया है।
नए आप्रवासियों के लिए सलाह : कड़ी मेहनत और निरंतर सीखना जारी रखें
एक आप्रवासी के रूप में अपनी यात्रा को याद करते हुए उन्होंने अमेरिका में नए लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी आंखों से 'गुलाबी का चश्मा हटा दें' और संयुक्त राज्य अमेरिका में सफल होने के लिए आवश्यक कड़ी मेहनत और निरंतर सीखने के लिए तैयार रहें। वशिष्ठ ने आशावाद व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे समुदाय ने बहुत अच्छा काम किया है और युवा पीढ़ी उस विरासत को आगे बढ़ा रही है।
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