नेशनल इंडो-अमेरिकन म्यूजियम (NIAM) ने ब्रॉडनिंग नैरेटिव्स नाम से अपना लेटेस्ट ओरल हिस्ट्री इनिशिएटिव शुरू किया है। शिकागो के लोम्बार्ड स्थित एनआईएएम के उमंग एवं परागी पटेल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में इसकी शुरुआत की गई।
आयोजकों की तरफ से बताया गया कि कार्यक्रम में शिकागो में भारत के महावाणिज्य दूत सोमनाथ घोष और अन्य आमंत्रित वक्ताओं व समुदाय के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इसमें ऐसे लोग भी शामिल थे जिनकी कहानियां एनआईएएम की वेबसाइट पर पहले से प्रदर्शित हैं।
गेलॉर्ड एंड डोरोथी डोनेली फाउंडेशन से वित्त पोषित ब्रॉडनिंग नैरेटिव्स प्रोजेक्ट को भारतीय अमेरिकियों को उच्च शिक्षित एवं सफल आप्रवासी समूह से कहीं आगे चित्रित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। यह एनआईएएम के ओरल हिस्ट्री कलेक्शन में विविधता लाएगा। इस दौरान भारतीय अमेरिकियों की कहानियों को सामाजिक-आर्थिक स्तरों की विस्तृत श्रृंखला से जोड़ा जाएगा।
ब्रॉडनिंग नैरेटिव्स इनिशिएटिव के तहत हाशिए पर पड़े और कम प्रतिनिधित्व वाले समूह जैसे कि एलजीबीटीक्यू प्लस, रिटेल क्लर्क, गैस स्टेशन अटेंडेंट, आश्रयों में रहने वाले, सरकारी सहायता पर निर्भर रहने वाले लोग और अनडॉक्युमेंटेड अप्रवासियों की आवाजों को सामने लाया जाएगा।
महावाणिज्य दूत सोमनाथ घोष ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय अमेरिकियों के अनुभवों को सीधे उन्हीं की आवाज में सामने लाने के लिहाज से यह प्रोजेक्ट काफी अहम है। एनआईएएम बोर्ड मेंबर्स ने प्रशिक्षित पेशेवरों द्वारा साक्षात्कार की प्रक्रिया के बारे में बताया। नए मौखिक अनुभवों को भी एनआईएएम की वेबसाइट पर पोस्ट किया जाएगा।
प्रोजेक्ट डायरेक्टर पद्मा रंगास्वामी, बोर्ड मेंबर देवलीना लॉ, एग्जिबिशन प्रेसिडेंट राजा नदीमपल्ली और प्रोजेक्ट मैनेजर अमिता बनर्जी सहित टीम के अन्य सदस्यों ने भी दर्शकों को संबोधित किया। एनआईएएम की डिजिटल आर्काइविस्ट एना कॉक्स और एनआईएएम सलाहकार व शिकागो हिस्ट्री म्यूजियम के चीफ ओरल हिस्टोरियन पीटर ऑल्टर ने दर्शकों को विस्तार से बताया कि वे किस तरह एनआईएएम के ओरल हिस्ट्री वेब पेजों का अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
इस अवसर पर दर्शकों ने एनआईएएम की नवीनतम प्रदर्शनी देसी रूट्स एंड विंग्स का भी अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी में 1620 से लेकर प्रथम विश्व युद्ध तक अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रवासियों के इतिहास के बारे में बताया गया है। इसमें अमेरिका में रहकर अंग्रेजों से भारत की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी हरदयाल माथुर (1884 - 1939) के बारे में भी बताया गया है।
हरदयाल माथुर की पड़पोती निशा ग्रोवर ब्रॉडनिंग नैरेटिव इवेंट के विशेष वक्ताओं में से एक थीं। उन्होंने अपने पड़दादा, उनकी दुनिया भर की यात्राओं और मातृभूमि से उनके संबंध से जुड़ी एक आकर्षक पारिवारिक कहानी भी सुनाई।
बताया गया कि देसी रूट्स एंड विंग्स प्रदर्शनी गुरुवार, शनिवार और रविवार को दोपहर से लेकर शाम 4 बजे तक लोम्बार्ड में 815 एस मेन सेंट स्ट्रीट पर जनता के लिए खुली है। प्रवेश शुल्क 10 डॉलर है। 5 साल और उससे कम उम्र के बच्चों के लिए प्रवेश निशुल्क है। प्रदर्शनी के लिए मुफ्त पार्किंग भी उपलब्ध है। अगर कोई ग्रुप में किसी और वक्त आना चाहता है तो अपॉइंटमेंट के लिए आवेदन कर सकता है।
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