लग्जरी फैशन रिटेलर 'नीमन मार्कस' ने एक बार फिर हिंदू देवता गणेश के आकार वाले कफलिंक समुदाय के विरोध के बाद बाजार से वापस ले लिए हैं। हिंदू समुदाय ने विरोध करते हुए रिटेलर के इस कदम को 'अत्यधिक अनुचित' बताया था।
इससे पहले जब कंपनी ने ये कफलिंक बाजार में उतारे थे तो समुदाके विरोध के चलते इन्हे अप्रैल 2021 में वापस ले लिया गया था। कंपनी का मुख्यालय डलास (टेक्सस) में है। शनिवार को खोजे जाने पर ये 940 डॉलर मूल्य के यूएसए निर्मित 'गणेश कफलिंक' नीमन मार्कस वेबसाइट से गायब थे।
प्रतिष्ठित हिंदू राजनेता राजन जेड ने दोनों विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था। नेवादा में एक बयान में जेड ने हिंदू समुदाय की चिंताओं को समझने के लिए नीमन मार्कस समूह को धन्यवाद दिया, जिसने महसूस किया कि ऐसा उत्पाद असंवेदनशील था। हालांकि जेड ने कहा कि हम अभी भी समूह की ओर से औपचारिक माफी की प्रतीक्षा कर रहे थे।
जेड यूनिवर्सल सोसाइटी ऑफ हिंदूइज्म के अध्यक्ष हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि नीमन मार्कस ग्रुप जैसी कंपनियों को अपने वरिष्ठ अधिकारियों को धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के प्रति प्रशिक्षण के लिए भेजना चाहिए ताकि उन्हें नए उत्पाद पेश करते समय या विज्ञापन अभियान शुरू करते समय ग्राहकों और समुदायों की भावनाओं की समझ हो।
राजन जेड ने कहा था कि भगवान गणेश हिंदू धर्म में बहुत पूजनीय हैं। उनकी पूजा मंदिरों और घरों में की जाती है न कि ड्रेस शर्ट के कफ को सुरक्षित करने के लिए, फैशन स्टेटमेंट के रूप में दुरुपयोग के लिए अथवा यूं ही इधर-उधर फेंक दिया जाता।
बकौल जेड नीमन मार्कस '1907 से असाधारण की खोज में' होने का दावा करता है लिहाजा इसे धार्मिक विनियोग, अपवित्रीकरण और पवित्र हिंदू देवता को अपमानित करने के व्यवसाय में नहीं होना चाहिए। अत्यंत पूजनीय भगवान गणेश का इस तरह से दिखावा करना बेहद तुच्छ था। जेड ने जोर दिया कि व्यापारिक लालच या अन्य एजेंडे के लिए पवित्र हिंदू देवी-देवताओं या अवधारणाओं अथवा प्रतीकों का अनुचित उपयोग ठीक नहीं है क्योंकि इससे भक्तों को ठेस पहुंचती है।
जेड ने कहा कि लगभग 1.2 अरब अनुयायियों और एक समृद्ध दार्शनिक विचार के साथ हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना और तीसरा सबसे बड़ा धर्म है इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी आस्था के प्रतीक, चाहे बड़े हों या छोटे, के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।
राजन जेड ने कहा था कि हिंदू स्वतंत्र कलात्मक अभिव्यक्ति और भाषण के उतने ही पक्षधर हैं जितने किसी और के। लेकिन आस्था एक पवित्र चीज है और इसे तुच्छ बनाने के प्रयास अनुयायियों के लिए दर्दनाक थे।
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