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न्यू यॉर्क के NRI ने अमृतसर के गरीब बुजुर्गों और बच्चों को दी आंखों की रोशनी का तोहफा

न्यू यॉर्क के हरिदास और शारदा कोटाहवाला ने अमृतसर में वरिंदर भल्ला की तरफ से आयोजित 12वें आंखों के कैंप को स्पॉन्सर किया। शुरुआत से अब तक अमृतसर में 12 नेत्र शिविर आयोजित किए जा चुके हैं, जिनसे लगभग 1200 लोगों को लाभ हुआ है।

ये कैंप उन लोगों को फ्री आंखों की जांच और चश्मे देने के लिए था, जिनकी आंखों की रोशनी कमजोर है। / Varinder K Bhalla

न्यू यॉर्क के हरिदास और शारदा कोटाहवाला ने अमृतसर में वरिंदर भल्ला की तरफ से आयोजित 12वें आंखों के कैंप को स्पॉन्सर किया। ये कैंप उन लोगों को फ्री आंखों की जांच और चश्मे देने के लिए था, जिनकी आंखों की रोशनी कमजोर है। ये ऐसे लोग हैं जो इलाज का खर्चा उठा नहीं सकते। इनमें बुज़ुर्ग लोग भी शामिल थे, जो कमजोर रोशनी की वजह से अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में मुश्किलों का सामना कर रहे थे। इसके अलावा ऐसे बच्चे भी थे जिनको क्लासरूम में ब्लैकबोर्ड साफ नहीं दिखता था। जिस कारण उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही थी।

अमृतसर के रहने वाले और न्यू यॉर्क के नासाउ काउंटी के पूर्व कमिश्नर वरिंदर भल्ला ने अपने पिता की याद में जनवरी 2023 में पहला आंखों का शिविर शुरू किया था। उनके पिता ने हमेशा से एक स्थानीय ब्लाइंड स्कूल के दृष्टिबाधित बच्चों की काफी मदद की थी। इस पहले शिविर में पंजाब की कई बड़ी हस्तियां शामिल हुई थीं। इनमें सांसद गुरजीत सिंह औजला, पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री ओम प्रकाश सोनी और उस वक्त के अमृतसर के कमिश्नर संदीप रिषि शामिल थे। 

वास्तविक जरूरतमंदों तक ही फायदा पहुंचे, इसके लिए पहले पूरी तरह से जांच की जाती है कि कौन आर्थिक रूप से कमजोर है। इसके बाद चुने हुए लोगों की आंखों की जांच कंप्यूटर और परंपरागत तरीकों से की जाती है। जिन लोगों को मायोपिया, हाइपरऑपिया, या एस्टिग्मैटिज्म जैसी समस्याएं होती हैं, उन्हें डॉक्टर चश्मे के नंबर बताते हैं। मरीज अपनी पसंद के फ्रेम भी चुन सकते हैं। आखिर में, नेत्र शिविर में ही सबको चश्मे बांटे जाते हैं। 

शुरुआत से अब तक अमृतसर में 12 नेत्र शिविर आयोजित किए जा चुके हैं, जिनसे लगभग 1200 लोगों को लाभ हुआ है। हर महीने नेत्र शिविर लगाए जाते हैं। हालांकि जब मौसम बेहद खराब होता है तो शिविर नहीं लगाया जाता है, क्योंकि तब इन्हें व्यवहारिक रूप से चलाना मुश्किल और बहुत महंगा पड़ता है। 

अमृतसर के एक स्थानीय समाजसेवी सतीश देवगन ने भल्ला परिवार की तारीफ करते हुए कहा, 'ये न्यू यॉर्क में हजारों मील दूर बैठे हैं, मगर अपने पैतृक पंजाब के जरूरतमंद लोगों का ख्याल रखते हैं।' देवगन आगे कहते हैं कि कोटाहवालों का ये नेक काम और भी प्रेरणादायक है। क्योंकि ये राजस्थान से हैं और पिछले छह दशकों से न्यूयॉर्क में बस गए हैं, फिर भी अमृतसर के जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं।

कोटाहवाला परिवार, न्यू यॉर्क और भारत दोनों जगह अपने परोपकारी कार्यों के लिए जाने जाते हैं। उन्हें उनके चैरिटेबल कामों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। लॉन्ग आइलैंड के भल्ला परिवार दिल्ली में AWB फूड बैंक भी चलाते हैं। यह बैंक होटलों, एयरलाइन्स और इंडस्ट्री किचन से बचा हुआ खाना इकट्ठा करता है और उसे गरीब और असहाय लोगों में बांटता है। भल्ला की दिवंगत मां आज्ञावंती भल्ला के नाम पर बना यह AWB फूड बैंक 1991 में शुरू हुआ है।

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